चीते के हमले में जख्मी दया सहनी, चंदन सिंह, मुकेश सिंह, राजेश सिंह, मुन्ना तिवारी, साेनू कुमार, मुंदर सहनी व मोहम्मदपुर आलम गांव के श्री सहनी का इलाज पीएचसी में कराया गया. जानकारी के अनुसार, गांव की 70 वर्षीया चमेलिया देवी शुक्रवार की सुबह 10 बजे गेहूं का खेत देखने गयी थी. सेमल के पेड़ के पास खेत में जानेवाली पगडंडी के पास सोये चीते को देख वह ठिठक गयी. भयभीत चमेलिया देवी ने हिम्मत से काम लिया. तेज कदमों से वापस लौटी और ग्रामीणों को खेत में चीता के होने की जानकारी दी.
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भटक कर मनियारी पहुंचे चीते ने आठ को किया जख्मी
मुजफ्फरपुर: मनियारी के छितरौली गांव के मन टोला चौर में शुक्रवार को भटक कर पहुंचे चीते ने आठ लोगों को जख्मी कर दिया. इससे वहां अफरातफरी मच गयी. सूचना पाकर पहुंची वन विभाग की टीम की मौजूदगी में ग्रामीणों ने सात घंटे की मशक्कत के बाद जाल से घेराबंदी कर उसे कब्जे में किया. इसके […]
मुजफ्फरपुर: मनियारी के छितरौली गांव के मन टोला चौर में शुक्रवार को भटक कर पहुंचे चीते ने आठ लोगों को जख्मी कर दिया. इससे वहां अफरातफरी मच गयी. सूचना पाकर पहुंची वन विभाग की टीम की मौजूदगी में ग्रामीणों ने सात घंटे की मशक्कत के बाद जाल से घेराबंदी कर उसे कब्जे में किया. इसके बाद उसे बेहोश कर पिंजरे में डाल कर ले जाया गया.
पकड़ने गये दया व श्रीराम सहनी को किया घायल. चंदू के घायल होने की सूचना के बाद गांव के सैकड़ों लोग गेहूं के खेत के आसपास पहुंच चीते को पकड़ने की कोशिश में लग गये. खेत में खोज रहे लोगों में दया सहनी पर चीते ने अगले पंजे से पर वार किया. पीछे से लोग भी पकड़ो-पकड़ो कहते हुए चिल्लाने लगे. लोगों के हुजूम को देख चीता सहमा और अपने पीछे के पंजे से दया के बायें हाथ पर वार कर दिया. इससे वह बुरी तरह से घायल हो गया. इसके बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ी, तो चीता वहां से भाग गया. इसके बाद उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे मुकेश सिंह, चंदन सिंह, श्रीराम सहनी को भी घायल कर दिया.
पहुंचे वन विभाग के अधिकारी. खेत में चीता आने की सूचना पर दोपहर 12.30 बजे कुढ़नी बीडीओ संजीव कुमार पहुंच गये. इसके पहले सुबह 11.30 में मनियारी थानाध्यक्ष अमित कुमार सहित तुर्की और फकुली ओपी प्रभारी राजेश कुमार भी पहुंच गये थे. अपराह्न 3.39 बजे पिंजरे के साथ जिला वन पदाधिकारी बैधनाथ गुप्ता, रेंज ऑफिसर पूर्वी इंद्र राम, पश्चिमी उपेंद्र कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी गनमैन पहुंचे.
बुजुर्गों की राय को बनायी राह. वन विभाग के अधिकारियों की विफलता देख चिंतित बुजुर्ग लाठी टेकते वहां पहुंचे. 70 वर्षीय रामेश्वर भगत और ललमुनिया देवी नौजवानों को बुला हुल्लड़बाजी बंद कर बुद्धि से काम लेने की नसीहत दी. एकजुट होकर चीता को जाल से पकड़ने की राय दी. इसके बाद वहां पहुंचे सैकड़ों नौजवान जाल हाथ में थाम खेत में उतर गये. उनके साथ वन विभाग के पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी भी खेत में उतरे. वहां जुटे सैकड़ों नौजवान खेत के चारों ओर से जाल लेकर चीता को घेरने लगे.
60 मिनट में तीन अटैक झेल किया काबू. चीते को पकड़ने के लिए अंतिम एक घंटे का समय काफी संघर्ष भरा रहा. अपराह्न चार बजे सैकड़ों नौजवान ने हाथ में जाल लिये चीते को घेरना शुरू कर दिया था. सुरेश को खेत स्थित सेमल के पेड़ पर लोकेशन देने के लिए चढ़ाया गया था. जाल लिये आगे बढ़ रहे नौजवानों ने चीता को चारों ओर से घेर लिया था. जाल से बच निकलने के प्रयास में चीते ने शाम 4.39 में अटैक किया. पांच मिनट बाद ही एक बार फिर घेरने की कोशिश शुरू हुई. इस बार चीता जाल में आ गया. लेकिन गजब की फुर्ती दिखाते हुए निकल गया और अटैक कर दिया. दुबारा उस पर जाल फेंका गया. इस बार वह जाल में फंस गया. इसी बीच वन विभाग के अधिकारी ने उसे ट्रैंक्वलाइजर देकर बेहोश किया.
पटना के चिड़ियाघर भेजा गया चीता. पकड़े गये चीते को वन विभाग के अधिकारियों ने पटना स्थित चिड़िया घर भेज दिया है. जिला वन पदाधिकारी बैद्यनाथ प्रसाद गुप्ता ने पकड़े गये चीते को नर और वयस्क बताया है. वहीं वाल्मीकिनगर या चकिया के जंगल में भोजन की तलाश में कदाने नदी के किनारे यहां पहुंचने की बात बतायी.
सूचना मिलते ही पकड़ने की शुरू हो गयी कोशिश : गांव के खेत में चीता होने की सूचना मिलते ही ग्रामीण एकत्र होने लगे. सुबह 10.30 बजे गांव के चंदू सिंह खेत में पहुंचे. उन्हें देखते ही चीते ने उन पर वार कर दिया. उनके चेहरा, बायां हाथ व कंधे पर पंजे से वार कर जख्मी कर दिया. किसी तरह वहां से जान बचा कर निकले चंदू ने ग्रामीणों से खेत में चीता होने की पुष्टि की.
शाम चार बजे से शुरू हुआ ऑपरेशन : चीता को पकड़ने के लिए शाम चार बजे से ऑपरेशन शुरू किया गया. गनमैन के साथ ही वन विभाग और पुलिस पदाधिकारी खेत में गये. पीछे-पीछे ग्रामीण भी थे. चीता गेहूं के खेत में छिपा था. इसलिए गनमैन और अन्य पदाधिकारी सहम-सहम कर उसे ढूंढ रहे थे.
अरेराज व बेतिया में दिखा था बाघ
वाल्मीकिनगर जंगल से बड़े जानवर पहले भी भोजन की तलाश में भटक कर कर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक पहुंचे हैं. लगभग दो साल पहले अरेराज के पास एक बाघ को देखा गया था. उस समय वन विभाग की टीम ने उसे पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हुई थी. बाद में पता चला था कि बाघ वापस वाल्मीकिनगर चला गया है. ऐसे ही लगभग चार साल पहले बेतिया शहर से 10 किलोमीटर दूर बाघ दिखा था, तब भी बात हुई थी कि बाघ वाल्मीकिनगर से भटक कर चला आया है. हालांकि तब यह दूरी लगभग 70 किलोमीटर बतायी गयी थी.
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