पेट्रोल और गैस की खपत में अपने जिले का नंबर राजधानी के बाद है, जबकि डीजल खपत में पटना के बाद मोतिहारी और फिर मुजफ्फरपुर का नंबर है. जिले में पेट्रोल डीजल व एलपीजी की ज्यादा खपत का अर्थ है कि प्रदूषण भी ज्यादा होना, जिसके बारे में समय-समय पर चेताया जाता रहा है. अपना शहर वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर भी आया है. पिछले साल जब दिल्ली में धुंध थी, तब जो आंकड़े सामने आये थे, उसमें मुजफ्फरपुर का भी नाम प्रमुखता से था. यहां पर बसों, ट्रकों के साथ बड़ी संख्या में दो पहिया वाहनों का भी परिचालन होता है.
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आर्थिक सर्वे में पेश आंकड़ों से हुआ खुलासा, पेट्रोल, एलपीजी पर पटना के बाद सबसे ज्यादा खर्च करते हैं हम
मुजफ्फरपुर: हम लोग खर्च में तो आगे हैं, लेकिन बचत की बारी आती है, तो उसमें पिछड़ जाते हैं. यह बात हम नहीं बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वे में सामने आयी है, जिसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के उपयोग में तो पटना के बाद आता है, लेकिन जब बचत […]
मुजफ्फरपुर: हम लोग खर्च में तो आगे हैं, लेकिन बचत की बारी आती है, तो उसमें पिछड़ जाते हैं. यह बात हम नहीं बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वे में सामने आयी है, जिसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के उपयोग में तो पटना के बाद आता है, लेकिन जब बचत की बात आती है, तो अपना जिला टॉप थ्री में नहीं आता है यानी जबकि पटना बचत में भी नंबर-वन है.
मुजफ्फरपुर की पहचान सांस्कृतिक तौर पर रही है. वज्जिका भाषी इस क्षेत्र को तिरहुत का मुख्यालय होने का गौरव प्राप्त है. इसे राज्य की सांस्कृतिक राजधानी घोषित करने की मांग भी अरसे से हो रही है, लेकिन दुखद बात ये है कि अभी तक शहर का मास्टर प्लान तैयार नहीं हुआ है. पिछले दो साल से इस पर कवायद चल रही है, लेकिन अभी तक उसे अंतिम रूप नहीं मिला है, लेकिन क्षेत्र बड़ा होने की वजह से जरूरतें भी वैसी ही हैं. यही वजह है कि आर्थिक सर्वे में उपभोक्ता के तौर पर अपना जिला पटना के बाद सामने आया है.
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