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बजट ने किया निराश, उत्तर बिहार को नहीं मिला ‘एम्स’

मुजफ्फरपुर : गुजरात व झारखंड को केंद्रीय बजट से एम्स का तोहफा मिल गया. लेकिन, उत्तर बिहार को इससे उपेक्षित कर दिया गया है. इस बजट में केंद्र सरकार ने उत्तर बिहार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है. गंभीर बीमारी व दुर्घटनाग्रस्त लोगों के परिजनों को इलाज के लिए फिर भटकना होगा. उत्तर बिहार […]

मुजफ्फरपुर : गुजरात व झारखंड को केंद्रीय बजट से एम्स का तोहफा मिल गया. लेकिन, उत्तर बिहार को इससे उपेक्षित कर दिया गया है. इस बजट में केंद्र सरकार ने उत्तर बिहार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है. गंभीर बीमारी व दुर्घटनाग्रस्त लोगों के परिजनों को इलाज के लिए फिर भटकना होगा. उत्तर बिहार में मस्तिष्क में चोट के इलाज की व्यवस्था कहीं नहीं है. ऐसे में उत्तर बिहार के लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में भी कई तरह से देखा जा रहा है.

आम लोगों के साथ-साथ नेताओं का आरोप है कि कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने इलाज की सुविधा के लिए यहां पर कोई काम नहीं किया. यह तोहफा नहीं मिलने से एसकेएमसीएच प्रशासन भी मायूस है.
राजद के प्रदेश प्रवक्ता डॉ इकबाल मो शमी व लोजपा के जिला अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने कहा, उत्तर बिहार के लोगों को एम्स नहीं मिलना नुकसानदायक है.
एसकेएमसीएच प्रबंधन भी मायूस, जारी रहेगा प्रयास : अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए सरकार को पत्र लिखते रहेंगे. प्रयास बंद नहीं करेंगे. एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ जीके ठाकुर ने कहा कि एम्स का दर्जा मिल जाने से उत्तर बिहार के लोगों को बहुत फायदा होता. लोगों की परेशानी दूर होती. अब लोगों को बेहतर इलाज के लिए बाहर का रुख करना पड़ेगा. एसकेएमसी प्राचार्य डॉ विकास कुमार ने कहा कि एम्स का दर्जा मिलने से एमबीबीएस के छात्रों को ज्यादा फायदा होता.
उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर का रुख नहीं करना पड़ता. यहां नर्सिंग की भी बेहतर पढ़ाई होती. छात्रों को शोध का अवसर मिलता.
गुजरात व झारखंड को तोहफा मिलने पर आ रही प्रतिक्रिया
एम्स बनने से क्या होता फायदा
यहां पर सभी विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टर की व्यवस्था की जाती. यहां पर त्वचा रोग, कैंसर, हड्डी, नींद, मूत्र, किडनी के इलाज से जुड़े डॉक्टर आते. साथ ही, ट्रॉमा सेंटर, हृदय व छाती रोग, दांत, आंख, नाक, कान व गला के विशेष डॉक्टर मिलते. सभी बीमारियों का रिसर्च के आधार पर इलाज होता. इतना ही नहीं, दान में दिये गये शरीर के अंगों को सुरक्षित रखने का बैंक बनता, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने शरीर का अंग दान कर दूसरे को जीवन दे सकता. यह सब खटाई में पड़ गया.
काम नहीं आया नेताओं का प्रयास
उत्तर बिहार को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश सिंह लगातार प्रयासरत रहे हैं. पिछली संप्रग सरकार में इस पर काम काफी आगे भी बढ़ा था. लेकिन, निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण तक नहीं पहुंची. इधर, नगर विधायक सुरेश शर्मा भी एसकेएमसीएच को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए कई बार पहल कर चुके हैं.
लेकिन, इसका फायदा यहां के लोगों को कब मिलेगा? बड़ा सवाल है.

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