मुजफ्फरपुर : पूर्व मंत्री रमई राम वर्ष 1951 से ही मां सरस्वती की अराधना करते हैं. वह पहली बार जब सरस्वती पूजा की शुरुआत की थी, तो न ही उनके पास साज सज्जा के लिए उतने पैसे थे और न ही मूर्ति खरीदने के लिए. लेकिन उन्होंने अपने दाेस्तों राजेंद्र साह व शंकर चौधरी ने पूजा करने ठान ली. अपने पैसों से हरिसभा चौक से तीन रुपये में मूर्ति खरीद उसकी स्थापना कर दी. उसके बाद से वह हर बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा करते आ रहे हैं. रमई राम कहते हैं कि
धीरे-धीरे समय बदलता गया और पूजा बड़ी ही धूमधाम से होती चली गयी़ वे कहते हैं कि जब राजनीति में आये, तब भी सरस्वती पूजा नहीं छोड़ा. इसी बीच 1972 में वह बोचहां के विधायक बने. जिसके बाद उन्हाेंने तय किया कि मां सरस्वती का मंदिर व उनकी मूर्ति की स्थापना करेंगे. इसके बाद अपने आवास पर ही वर्ष 2001 में भव्य मंदिर बनवाया और उसमें मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की. आज भी वह ही मां की पूजा-अर्चना करते हैं और सभी के बीच प्रसाद वितरण भी खुद ही करते हैं.