मुजफ्फरपुर : शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लक्ष्मी चौक से सिकंदरपुर को जोड़नेवाली सड़क मरीन ड्राइव छह साल के बाद भी पूरी नहीं हुई है. महज 100 मीटर की दूरी में भूमि अधिग्रहण का पेच फंसने के कारण यातायात के लिए वरदान साबित होने वाली यह सड़क एक गलियारा बन कर रह गयी है. विवाद में फंसी यह सड़क प्रशासन की नजर में किस तरह उपेक्षित है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सड़क निर्माण पूरा होने से पहले ही टूटने लगा है.
लेकिन इसके मेटेंनेंस के लिए पहल नहीं की जा रही हैं. छह करोड़ की लागत से बनी करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण काफी तेजी से हुआ था. तत्कालीन डीएम आनंद किशोर ने शहर के सौंदर्यीकरण व यातायात के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत 2011 में सड़क का निर्माण शुरू कराया था. लक्ष्मी चौक के पास मुहाना पर करीब तीन डिसमिल जमीन के अधिग्रहण को लेकर सड़क आधा – अधूरा रह गया. मामला हाइकोर्ट में चला गया. दो साल पहले कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के विवाद को सुलझाने का आदेश जिलाधिकारी को दिया.
लेकिन मामला पत्राचार में ही उलझ कर रह गया है. सड़क के पूरी तरह से चालू हाे जाने से आधे जाम के समस्या का स्थायी निदान हो जायेगा. लक्ष्मी चौक, ब्रम्हपुरा, महेश बाबू चौक, जूरन छपरा, कंपनी बाग व सरैयागंज में लगने वाली जाम पर काफी हद तक लगाम लग जायेगा. समांतर रास्ता खुल जाने से सरैयागंज की ओर आने वाले लोग कम समय में पहुंच जायेंगे. विधि – व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी काफी कारगर होगा. शहर में प्रवेश करने वाले बड़े स्कूल वाहनों का दवाब भी कम होगा. सिकंदरपुर मन में प्रस्तावित दूसरी सड़क भी घोषणा बन कर रह गयी है. डीएम आवास के पीछे से बनने वाली यह सड़क दादर पुलिस लाइन को सिकंदरपुर मोड़ स्थित अजगैबी नाथ मंदिर को जोड़ेगी. दस करोड़ के इस प्रोजेक्ट की फाइल लंबे समय तक जिला प्रशासन व निगम के टेबुल पर घूमने के बाद फिलहाल नगर विकास विभाग के पास पेंडिंग है. सड़क निर्माण को प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक में सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. जबकि यह दोनों सड़क शहर के जाम व अतिक्रमण के समस्या के निदान में मील का पत्थर साबित हो सकता है.