मुजफ्फरपुर : मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी काे मनायी जायेगी. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद लोग इस पर्व के अनुसार स्नान व दान-पुण्य कर सकेंगे.
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14 जनवरी को ही मनेगी मकर संक्रांति
मुजफ्फरपुर : मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी काे मनायी जायेगी. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद लोग इस पर्व के अनुसार स्नान व दान-पुण्य कर सकेंगे. यह पर्व सूर्य की गति के अनुसार होता है. पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तो उस […]
यह पर्व सूर्य की गति के अनुसार होता है. पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तो उस काल विशेष को ही संक्रांति कहते हैं, यूं तो प्रति मास ही सूर्य बारह राशियों में एक से दूसरी में प्रवेश करता रहता है. पर वर्ष की बारह संक्रांतियों में यह सब से महत्वपूर्ण है. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही होगी. पंडितों के अनुसार सुबह से लेकर शाम तक का समय स्नान-दान व पूजा के योग्य हैं.
ज्योतिषाचार्य पं. निलय शास्त्री ने कहा कि वैसे तो यह प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन किसी वर्ष यह पर्व 12, 13 व 15 को भी हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है. इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. इसी वजह से वर्ष 2016 में मकर संक्रांति 14 के बजाय 15 जनवरी को थी.
प्रत्येक दो वर्ष पर बदलती है तिथि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर राशि में प्रवेश करने के कारण यह पर्व मकर संक्रांति देवदान पर्व के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रांति मनाये जाने का यह क्रम हर दो साल के अंतराल में बदलता रहता है. लीप इयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति 2017, 2018, 2021 में 14 जनवरी व 2019, 2020 में 15 जनवरी को मनायी जायेगी. यह क्रम 2030 तक चलेगा. इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को एक साल 14 जनवरी को संक्रांति मनायी जायेगी.
स्नान-दान से मिलेगा पुण्य
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक व उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है.
ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर दुबारा प्राप्त होता है. इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है. इस मौके पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया है. मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है. इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है. प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है.
सुबह से शाम तक स्नान-दान का मुहूर्त
धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं सूर्य
जप-तप, दान व स्नान जैसे धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व
1700 साल पहले 22 दिसंबर को मकर संक्रांति
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है. इससे सूर्य मकर राशि में एक दिन देरी से प्रवेश करता हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार करीब 1700 साल पहले 22 दिसंबर को मकर संक्रांति मानी जाती थी. इसके बाद पृथ्वी के घूमने की गति के चलते यह धीरे-धीरे दिसंबर के बजाय जनवरी में गयी है. मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक आगे बढ़ जाता है. 19 वी शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 और 14 जनवरी को मनाई जाती थी. पिछले तीन साल से लगातार संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को होगी.
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