मुजफ्फरपुर: व्यवसायी राजकुमार गोयनका के यहां आयकर सर्वे मामले की जांच में गुरुवार को नया खुलासा हुआ है. उनकी कंपनी का चपरासी कुणाल कुमार ने अपनी ही आइडी का इस्तेमाल कर कोटक महिंद्रा बैंक में खाता खुलवाया था. खाते में पहले ही दिन उसने एक लाख रुपये जमा कराये थे. खाता खोलने के लिए लिए […]
मुजफ्फरपुर: व्यवसायी राजकुमार गोयनका के यहां आयकर सर्वे मामले की जांच में गुरुवार को नया खुलासा हुआ है. उनकी कंपनी का चपरासी कुणाल कुमार ने अपनी ही आइडी का इस्तेमाल कर कोटक महिंद्रा बैंक में खाता खुलवाया था. खाते में पहले ही दिन उसने एक लाख रुपये जमा कराये थे. खाता खोलने के लिए लिए उसने आइसीआइसीआइ बैंक का चेक दिया था. सर्वें के बाद खाते से करोड़ों के ट्रांजेक्शन का खुलासा होने पर कुणाल ने ही प्राथमिकी दर्ज करायी थी. अनुसंधानक सुजीत कुमार ने बैंक से उसके खाते का ब्योरा उपलब्ध कराने को
पूजा ट्रेडिंग कंपनी व कांता सेल्स कॉरपोरशन के प्रोपराइटर राजकुमार गोयनका व अशोक कुमार गोयनका के यहां गुरुवार को आयकर सर्वे हुआ था.
इस दौरान करोड़ों का ट्रांजेक्शन कराने का खुलासा हुआ था. ट्रांजेक्शन दोनों ने ने अपने स्टाफ के नाम फर्जी अकाउंट बना कर किया था. पटना व मुजफ्फरपुर की संयुक्त टीम ने जब कंपनी व घर के बही-खातों की जांच की, तो करीब दस स्टाफ के नाम के अकाउंट व करोड़ों का ट्रांजेक्शन का पता चला था. चपरासी कुणाल कुमार के नाम के चार अकाउंट मिले थे, जिससे विगत चार सालों में 13 करोड़ का ट्रांजेक्शन किया गया था. इसके अलावा अन्य नौ स्टाफ के नाम पर भी करोड़ों के ट्रांजेक्शन के कागजात मिले थे.
4.67 करोड़ के ट्रांजेक्शन की हुई थी पुष्टि
कांता सेल्स कॉरपोरेशन के चपरासी कुणाल कुमार की एफआइआर के बाद मिठनपुरा पुलिस ने चारों खातों की जांच की. जांच के दौरान कोटक महिंद्रा व जुब्बा सहनी पार्क के समीप आइसीआइसीआई बैंक से एक वर्ष पहले 4.67 करोड़ का ट्रांजेक्शन कोलकाता की एक कंपनी को किये जाने की बात सामने आयी थी. इसके बाद अनुसंधानक ने बैंक प्रबंधन से उसके खाते से संबंधित ब्योरे की मांग की थी.
अप्रैल 2014 में खोलवाया था खाता
एक सप्ताह बाद गुरुवार को बैंक प्रबंधन ने अनुसंधानक को कुणाल के खाते की अधिकांश जानकारी उपलब्ध करा दी. इसके अनुसार अप्रैल 2014 को कुणाल की आइडी पर कोटक महिंद्रा बैंक में खाता खोलवाया गया था. इसके लिए कुणाल ने बैंक को आइसीआइसीआइ बैंक का एक लाख का चेक दिया था. कुछ ही दिनों बाद इस खाते से 75 हजार रुपये का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया गया. कुछ ही दिनों बाद 25 हजार कैश निकासी कर ली गयी थी. खाते में जमा कुल एक लाख की निकासी के बाद अकाउंट नील हो गया. एकाउंट में राशि उपलब्ध नहीं रहने के कारण बैंक ने खाते को फ्रीज कर दिया. इस खाते से अंतिम ट्रांजेक्शन मार्च 2015 तक ही हुआ था.
चपरासी ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी
कंपनी में चपरासी रामबाग निवासी कुणाल कुमार ने मामले में मिठनपुरा थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. उसने कहा था कि चार वर्ष से वह यहां चपरासी का काम करता है. वह छठी पास है. नियुक्ति के समय उसने प्रोपराइटर राजकुमार गोयनका व अशोक कुमार गोयनका को पता व शिक्षा संबंधी कागजात सौंपे थे. उसके नाम से बैंक में अकाउंट होने व ट्रांजेक्शन की उसको कोई जानकारी नहीं है. वहीं सर्वे के दौरान उसका एक अकाउंट कोटक महिंद्रा में व तीन आइसीआइसीआइ में होने की बात सामने आयी थी. इन एकाउंट से 13 करोड़ का ट्रांजेक्शन भी किया गया था.
आइसीआइसीआइ से भी मांगा ब्योरा
कुणाल का आइसीआइसीआइ बैंक में भी तीन खाते हैं. अनुसंधानक सुजीत कुमार बैंक प्रबंधन से उसका खाता खोलने की तिथि, खाते की वर्तमान स्थिति, खाता खोलवाने के समय जमा किये गये दस्तावेज व जमा की गयी राशि से संबंधित ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है. एजीएम के यहां उपस्थित नहीं रहने के कारण अनुसंधानक को कोई ब्योरा प्रबंधन ने उपलब्ध नहीं कराया है. इस बैंक से उसके खाते का ब्योरा उपलब्ध कराये जाने के बाद कई रहस्यों से पर्दा उठने की संभावना जतायी जा रही है.