मुजफ्फरपुर : बीआरए िबहार िववि के प्रॉक्टर डॉ सतीश कुमार राय ने 1984 में पीजी में दािखला िलया था, तब पहले साल की परीक्षा दो साल बाद यानी 1986 में हुई. इसके बाद िववि में सत्र लेट होने का सिलसिला जो शुरू हुआ, वो अभी तक जारी है. तब छात्र रहे डॉ राय आज िववि प्रशासन के कोर टीम के सदस्य हैं,
लेिकन सत्र िनयमित होना अभी दूर की कौड़ी ही लग रहा है. पीजी के साथ स्नातक का सत्र भी लेट चल रहा है. इससे हर साल लाखों छात्र प्रभािवत होते हैं, लेिकन अभी तक यूिनवर्सिटी प्रशासन कोई हल नहीं िनकाल पाया है. हालांिक प्रॉक्टर डॉ राय कहते हैं िक हम िसस्टम में सुधार कर रहे हैं, िजसके िलए पहल शुरू हो गयी है. यूजीसी ने 1983 में उच्चÂ
बीआरए िबहार िववि
िशक्षा में बड़ा बदलाव िकया था. उस समय तक स्नातक की िडग्री दो साल में होती थी, िजसे तीन साल का कर िदया गया. इसे स्नातक छात्रों की बेहतरी को ध्यान में रखकर िकया गया, लेिकन बीआरए िबहार िववि पर इसका असर नकारात्मक रहा. उसी सत्र से यहां का सेशन लेट होना शुरू हो गया, तब स्नातक में एडमिशन लेने वाले छात्रों को तीन की जगह चार साल में सर्टििफकेट िमला. उस समय सत्र जो पटरी से उतरा, सो अब तक जारी है. पीजी का हाल भी ऐसा ही है. दो साल की डिग्री के लिए छात्रों को तीन साल से अधिक का समय लगता है. उस पर भी रिजल्ट पेंडिंग का दर्द उन्हें हमेशा सताता है.
यूजी और पीजी के छात्रों की संख्या विवि में करीब पांच लाख है. यूजी सत्र 2013-16 के छात्रों का अब तक विवि केवल पार्ट-वन की ही परीक्षा ले सका है, जबकि नियम से अब तक तीनों पार्ट के परीक्षा हो जानी चाहिए थी. कुछ ऐसा ही हाल पीजी सत्र 2014-16 के छात्रों का है. सेमेस्टर सिस्टम के हिसाब से अब तक चारों सेमेस्टर की परीक्षा हो जानी चाहिए थी, लेकिन विवि ने केवल सेकेंड सेमेस्टर की ही परीक्षा ले सका है. उसका भी अब तक रिजल्ट नहीं निकला है. इतना ही नहीं अब तक विवि पीजी के 2013-15 सत्र के छात्रों का सेमेस्टर तक फाइनल नहीं कर सका है.
2007 में हुआ था प्रयास
यूिनवर्सिटी से जुड़े लोग बताते हैं िक 2007 में सत्र को समय पर करने के िलए प्रयास हुये थे. तत्कालीन कुलपति डॉ राजदेव िसंह की ओर से पहल की गयी थी, लेिकन उनका िवरोध शुरू हो गया था. उन्हें काफी िवरोध का सामना करना पड़ा. उस समय सत्र पटरी पर आना शुरू हुआ, लेिकन डॉ राजदेव राय के बाद िफर से पहले जैसी िस्थति हो गयी.
परीक्षा में सुधार से िनयमित होगा सत्र
बीआरए िबहार िववि में अध्यापन का काम कर चुके पूर्व कुलपति डॉ िरपुसूदन श्रीवास्तव कहते हैं िक परीक्षा में सुधार से सत्र को िनयमित िकया जा सकता है. वो कहते हैं िक यूिनवर्सिटी प्रशासन कर्मचािरयों की कमी की बात कहता है. ये सही है, लेिकन डेली वेजेज पर कर्मचािरयों को रखा जाये, तो यह िस्थति बदल सकती है. उन्होंने कहा िक हमने मधेपुरा में ये प्रयोग िकया था. वहां सत्र चार साल लेट था.
एलएनएमयू का समय
पर है शैक्षणिक सत्र
मुजफ्फरपुर से 50 िकलोमीटर दूर दरभंगा में ललित नारायण िमथिला िववि का सत्र समय पर चल रहा है. वहां के छात्रों को समय पर िडग्री िमल रही है. 2014 तक यहां भी सत्र एक साल लेट था, लेिकन िववि प्रशासन ने फैसला िलया और सत्र समय पर हो गया. िववि में पढ़े पूर्ववर्ती छात्र कहते हैं िक कड़ा फैसला िलये िबना सत्र समय पर नहीं होगा. इससे छात्रों को लगातार नुकसान हो रहा है. इसे ठीक करना िववि प्रशासन की प्राथमिकता होनी चािहये, तभी शैक्षणिक माहौल बदलेगा.
दो की जगह तीन साल में एमए कर पाते हैं छात्र
1983 से लगातार पीछे चल रहा है शैक्षणिक सत्र
स्नातक व पीजी में अभी पांच लाख छात्र नामांिकत
विवि में सत्र कई सालों से लेट है. शिक्षकों व कर्मियों की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है. शैक्षणिक सत्र पटरी पर लाने का प्रयास भी किया जा रहा है. इसके लिए पहल भी शुरू हो चुकी है.
डॉ सतीश कुमार राय, प्रॉक्टर, बीआरए िबहार िववि, मुजफ्फरपुर