आयोजन. वीर शहीदों के नाम हास्य कवि सम्मेलन में झूमे श्रोता
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इस महंगाई में कन्हैया आये तो रोटी-दाल मार डालेगी…
आयोजन. वीर शहीदों के नाम हास्य कवि सम्मेलन में झूमे श्रोता मुजफ्फरपुर : इस महंगाई में कन्हैया यदि आये तो, सच कहता हूं रोटी दाल मार डालेगी, दो-दो सिम वाले मोबाइल गोपियों के हाथ, पूरी रात मिस कॉल करके मार डालेगी. यूपी से आये विकास बौखल ने जैसे ही कविता पूरी की. लोगों के पेट […]
मुजफ्फरपुर : इस महंगाई में कन्हैया यदि आये तो, सच कहता हूं रोटी दाल मार डालेगी, दो-दो सिम वाले मोबाइल गोपियों के हाथ, पूरी रात मिस कॉल करके मार डालेगी. यूपी से आये विकास बौखल ने जैसे ही कविता पूरी की. लोगों के पेट में बल पड़ गये. सभा कुछ देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजती रही. मौका था विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर की ओर से रविवार को मुजफ्फरपुर क्लब में आयोजित मोहब्बत का पैगाम वीर शहीदों के नाम हास्य कवि सम्मेलन का. कार्यक्रम की शुरुआत बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पलांदे, पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी, पूर्व विधान पार्षद गणेश भारती, प्रो कुमार गणेश, डॉ जलेश्वर प्रसाद,
डॉ ममता रानी, उपमेयर सैयद माजिद हुसैन ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. इसके बाद हरिनारायण सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष रामसूरत राय को देवेश चंद्र ठाकुर ने माला पहना कर स्वागत किया. कवि सम्मेलन का आगाज कवयित्री संज्ञा तिवारी ने किया. उनके गीत पर्वत को लांघा जाये निर्बल को ऐसा बल दे, गूंगा भी गुनगुनाएं वाणी उसको सरल दे, ऐ हंस वाहिनी मां आशीष यह अटल दे गीत सुना कर लोगाें की खूब तालियां बटोरी.
विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर की ओर से कार्यक्रम
कवि सम्मेलन में कविता पाठ करतीं कवयित्री संज्ञा तिवारी, संचालन शंकर कैमूरी ने किया.
जब-जब दुर्योधन जैसे शासक होंगे, यहां महाभारत दुहराया जायेगा
समारोह में वीर रस की कविता सुना कर गाजीपुर से आये डॉ हरिनारायण सिंह हरीश ने खूब रंग जमाया. जब-जब कोई कर्ण बढ़ाया जायेगा, द्रौपदियों को नग्न कराया जायेगा, जब-जब दूर्योधन जैसे शासक होंगे, यहां महाभारत दुहराया जायेगा कविता पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजायी. मुंबई से आये अशोक सुंदरानी ने वर्तमान समय में तुलसी, सूर व कबीर का जिक्र करते हुए लेागों की सोच पर करारा व्यंग्य किया. उनकी हर कविताअों पर श्रोताओं ने तालियां बजायी. देवरिया से आये बादशाह प्रेमी ने जब रचना सुनाई तो श्रोताओं ने उन्हें खूब सराहा. ऐसे नोट की मार खाते हैं रजनीगंधा उधार खाते हैं, बीबीयों के पास जो कालाधन,
पति खूब मौज उड़ाते हैं जैसी रचनाएं सराही गयी. संचालन करते हुए शंकर कैमूरी ने नये पराग तो जलाना एक बहाना है, हमें तो जोर हवाओं का आजमाना है, तू अपने वास्ते साया तलाश कर लेना, हमारा धूप से रिश्ता बहुत पुराना है भी श्रोताओं की तालियां बटोरी. इस मौके पर दिनेश सिंह गुक्कन व कमलेश राजहंस की कविताएं भी लोगों को खूब पसंद आयी. कवि सम्मेलन में कई जिलों से लोग पधारे थे.
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