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बिना अवार्ड भुगतान कर बैकफुट पर है प्रशासन

मुजफ्फरपुर : एनएच-77 के लिए जिले के 36 गांवों में 2500 किसानों से अर्जित जमीन के मुआवजा भुगतान को लेकर जारी विवाद सुलझाने के लिए प्रशासन ने भले ही अपनी ओर से तैयारी कर ली हो, लेकिन यह उतना आसान नहीं है. मामला अधिनियम के दो अलग-अलग प्रावधानों को लेकर फंसा है. पहले प्रावधान के […]

मुजफ्फरपुर : एनएच-77 के लिए जिले के 36 गांवों में 2500 किसानों से अर्जित जमीन के मुआवजा भुगतान को लेकर जारी विवाद सुलझाने के लिए प्रशासन ने भले ही अपनी ओर से तैयारी कर ली हो, लेकिन यह उतना आसान नहीं है.

मामला अधिनियम के दो अलग-अलग प्रावधानों को लेकर फंसा है. पहले प्रावधान के आधार पर वर्षों से लंबित इस योजना में अर्जित जमीन के लिए नयी अर्जन नीति के तहत मुआवजा भुगतान किया जा सकता है. लेकिन, दूसरा प्रावधान इसकी इजाजत नहीं देता. जल्दी ही जिला प्रशासन व एनएचएआइ के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत होनी है. पर, यह मामला स्थानीय स्तर पर सुलझता नहीं दिख रहा है.

वर्ष 2009-10 में हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एनएच-77 के निर्माण के लिए जमीन अर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई. एनएचएआइ ने किस्तों में इसके लिए राशि भी उपलब्ध करायी. नियमों के तहत जिला भू-अर्जन विभाग को अवार्ड घोषित होने के बाद मुआवजा का भुगतान करना था. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. गैरविवादित मामलों में किसानों के भुगतान की प्रक्रिया बिना अवार्ड घोषणा के ही शुरू कर दिया गया. पहली किस्त के रूप में किसानों को 80% तक राशि दी गयी. अब जब एनएचएआइ ने पुराने एस्टिमेट को वापस लौटा दिया, तो विभाग को अवार्ड घोषित नहीं होने की याद आयी. बिहार भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने बीते दिनों डीएम को पत्र भेज कर बताया था कि किन परिस्थितियों में लंबित योजनाओं ने नयी अर्जन नीति (2013) लागू की जा सकती है.
इसमें नयी अर्जन नीति लागू करने के लिए जो पहली शर्त बतायी गयी है, वह है 31 दिसंबर, 2013 तक प्राक्कलन की स्वीकृति या पंचाट की घोषणा नहीं होना है. पहली बार एनएचएआइ को जो एस्टिमेट भेजा गया था, वह टेंटेटिव था. फाइनल एस्टिमेट को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. अब भू-अर्जन विभाग इसी को आधार बना रहा है. इसमें किसानों को जमीन की नयी सर्किल रेट (एक जनवरी, 2014) देने का भी प्रावधान है. मामला दूसरी शर्त को लेकर फंसा हुआ है, जिसको एनएचएआइ के अधिकारी आधार बना रहे हैं. यह कहता है, एनएचएआइ की वैसी परियोजनाएं, जिसमें अधिग्रहण में सम्मिलित भूमि/भू-खंड से संबंधित अधिकांश होल्डिंग के लिए मुआवजा राशि का भुगतान हितबद्ध रैयतों को दिनांक 31 दिसंबर, 2013 तक नहीं हुआ है, उसमें नयी अर्जन नीति लागू होगी. एनएच-77 के लिए एनएचएआइ की ओर से टेंटेटिव प्राक्कलन के आधार पर 100 करोड़ रुपये से अधिक राशि मुहैया करायी गयी थी. राशि मिलने के बाद किसानों को मुआवजे का कुछ हिस्से का भुगतान भी शुरू कर दिया गया. फिलहाल, इस मद में 25.89 करोड़ रुपये का ही भुगतान लंबित है. प्रशासन को भी मालूम है कि इसको लेकर पेच फंस सकता है. यही कारण है कि एनएचएआइ के अधिकारियों के समक्ष तीन नये प्रस्ताव रखने का फैसला लिया गया है.
मामला एनएच-77 के मुआवजा भुगतान का
आसान नहीं होगा विवाद सुलझाना
लंबित परियोजना में नयी अर्जन नीति लागू करने की दो अलग-अलग शर्त भी बनी मुसीबत
इसी माह जिला प्रशासन व एनएचएआइ के अधिकारी बैठेंगे आमने-सामने

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