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टंकी तो बनवा रहे, बिना मोटर इनमें कैसे चढ़ेगा पानी

प्रेम मुजफ्फरपुर : जिले के 889 स्कूलों के करीब साढ़े तीन लाख बच्चों को पेयजल की योजना पर 1066.8 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑवर हेड टैंक (ओएचटी) से पानी कैसे मिलेगा, इसपर संशय बरकरार है. क्योंकि, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने वाटर टैंक लगाने का जो इस्टीमेट तैयार किया है, उसमें […]

प्रेम
मुजफ्फरपुर : जिले के 889 स्कूलों के करीब साढ़े तीन लाख बच्चों को पेयजल की योजना पर 1066.8 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑवर हेड टैंक (ओएचटी) से पानी कैसे मिलेगा, इसपर संशय बरकरार है.
क्योंकि, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने वाटर टैंक लगाने का जो इस्टीमेट तैयार किया है, उसमें बिजली मोटर का प्रावधान नहीं है. अब सवाल है 889 स्कूलों में लग रहे
ऑवर हेड टैंक में पानी कैसे
पहुंचेगा? क्या स्कूल के बच्चे, प्रधानाध्यापक व शिक्षक हैंडपंप से ओएचटी में पानी भरेंगे. हालांकि, पीएचइडी के अधिकारी इस इस्टीमेट के विषय में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
जानकारी के अनुसार जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में छात्रों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट है. जिसके तहत सर्वेक्षण कर 889 स्कूलों में पानी पंप लगाने की योजना बनी. एक स्कूल में 1.20 लाख रुपये खर्च करना है. 150 से 180 फुट पाइप लगा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है. इस योजना अंतर्गत एक ट्यूब बेल, एक पंप व एक टंकी लगाना है. चापाकल से पानी को लिफ्ट करा टंकी में भरने की स्कीम बनी. लेकिन, यह स्कीम कागजों में भले पूरा हो जाये, लेकिन बच्चों को पानी मिलने पर संदेह है.
स्कूलों में कौन पहुंचायेगा टैंक में पानी
विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस योजना में राशि बढ़ाने की जरूरत नहीं है. जितनी स्वीकृत राशि से उसी से बिजली का मोटर भी पंप में लगाया जा सकता है. यहां पर लगभग स्कूलों में बिजली कनेक्शन पहले मिल चुका है. जहां नहीं है, वहां कनेक्शन लेकर पंप चलाया जा सकता है.
लेकिन, विभाग का कोई भी अधिकारी केंद्रीय योजना होने के कारण कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं. मोटर लगाने का प्रस्ताव यहां से गया था. लेकिन, उस पर पटना में अधिकारियों के बीच कोई विचार नहीं हो सका. इस कारण बिना मोटर का लिफ्ट से पानी चढ़ाना है. लेकिन, स्कूलों में ऐसा कोई कमी नहीं है जो हैंड पंप चलाकर ओएचटी में पानी पहुंचा सके. इस कारण बच्चों को लाभ मिलना मुश्किल है.
इस स्कीम की तकनीकी स्वीकृति मुख्यालय से मिली है. इसके बाद यहां काम शुरू कराया. 27 टेंडर हो चुके हैं. चार टेंडर कुछ कारणों से बाकी था, वह भी निकाल दिया जायेगा. इसके बाद नयी जगह पर भी काम होगा. वैसे इस स्कीम में बिजली मोटर लगाने का प्रावधान नहीं है. हैंड पंप से पानी लिफ्ट कराकर टैंक में भरे जाने की स्कीम है.
सुधेश्वर प्रसाद यादव, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी, मुजफ्फरपुर
ऐसा इस्टीमेट मुख्यालय से बना है. इस इस्टीमेट में बिजली मोटर लगाने की व्यवस्था नहीं है. इसमें यहां से कुछ नहीं हो सकता है. हैंड पंप से ओएचटी में पानी भरने का काम स्कूल प्रबंधन का है. बीइपी, विद्यालय शिक्षा समिति व पंचायत प्रतिनिधि को करना है. टैंक में पानी भरने में पीएचइडी का रोल कहीं भी नहीं है.
सुरेश प्रसाद शूर, अधीक्षण अभियंता, पीएचइडी, मुजफ्फरपुर

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