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छात्रों के गाइडों की होगी जांच

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि असम के शोधार्थियों के गाइडाें की भी सत्यापन कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए कई एचओडी पहल भी कर चुके हैं. सूत्र के मुताबिक गाइड बनाने में शोधार्थियों से अच्छी खासी रकम की वसूली की गयी है. विवि के हरकत में आने के बाद अधिकारियों व प्रोफेसरों के यहां शोधार्थियों […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि असम के शोधार्थियों के गाइडाें की भी सत्यापन कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए कई एचओडी पहल भी कर चुके हैं. सूत्र के मुताबिक गाइड बनाने में शोधार्थियों से अच्छी खासी रकम की वसूली की गयी है. विवि के हरकत में आने के बाद अधिकारियों व प्रोफेसरों के यहां शोधार्थियों की गणेश परिक्रमा शुरू हो गयी है.
इस बीच जब यह निर्णय हुआ सत्यापन होगा, तो विवि ने निर्णय लिया कि अब उनके गाइडाें का सत्यापन होगा, क्योंकि अब यह बात सामने आ रही है कि बिना पात्रता के ही गाइड बने हैं और उनका सलेक्शन कमेटी से नियुक्ति भी नहीं हुई है, जबकि वित्त रहित कॉलेजों में नियुक्ति के लिए सलेक्शन कमेटी का होना जरूरी है. एक लेक्चरर चार, एसोसिएट प्रोफेसर छह और प्रोफेसर आठ शोधार्थियों को अपने अंदर पीएचडी करा सकते हैं, लेकिन इसमें भी खेल खेला गया है. कई ऐसे लेक्चरर व प्रोफेसर है, जिन्होंने अपने अंदर में नियम से अधिक शोधार्थियों को पीएचडी करा रहे हैं. डॉ सतीश कुमार राय ने बताया कि इस मामले की जांच विवि अपने स्तर से करेगा. अभ्यर्थियों के कोर्स वर्क पर सत्यापन तक रोक लगा दी गई है.
भारत नेपाल मैत्री संघ के तहत नेपाल के शोधार्थियों से भारतीय शुल्क वसूला जायेगा. उनसे विदेशी शुल्क की राशि पीएचडी के लिए नहीं दी जायेगी. रेगुलेशन में इस बात का जिक्र है. प्रॉक्टर डाॅ सतीश कुमार राय ने बताया कि नेपाल के शोधार्थियों का शुल्क उतना ही लगेगा, जितना भारतीय का लगता है. उन्हें तीन हजार डालर नहीं देने होंगे.

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