मुजफ्फरपुर:हादसे के बाद क्षतिग्रस्त ऑटो के बीच फंसी थी और सड़क पर मेरे दोनों मासूम बेटे साहिल व सरताज का शव पड़ा था. मन कर रहा था कि जल्दी से उठ कर कलेजे के टुकड़ों को सीने से लगा लूं. उठने की कोशिश भी की. लेकिन दाहिना पैर ऑटो के बीच फंसे होने के कारण […]
मुजफ्फरपुर:हादसे के बाद क्षतिग्रस्त ऑटो के बीच फंसी थी और सड़क पर मेरे दोनों मासूम बेटे साहिल व सरताज का शव पड़ा था. मन कर रहा था कि जल्दी से उठ कर कलेजे के टुकड़ों को सीने से लगा लूं. उठने की कोशिश भी की. लेकिन दाहिना पैर ऑटो के बीच फंसे होने के कारण उठ नहीं पा रहीं थी. ब्रह्मपुरा स्थित प्रसाद हाॅस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में भरती ओलीपुर मौना गांव की साहदा खातून इतना कहते-कहते फफक पड़ी. सहाना ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए हादसे का मंजर बयां किया.
सहाना बोली, कभी आंख खुलती और कभी बंद हो जाती थी. मन करता था कि जाेर-जोर से चीखूं-चिल्लाऊं. आसपास के लोगों को बुलाकर कम से कम अपने बेटे की अंतिम झलक दिखाने की गुहार लगाऊं. मगर कोई पास नहीं आ रहा था. कुछ देर बाद चार-पांच लोग आये और मुझे ऑटो से खींचकर निकालने लगे.
दर्द इतना था मगर एक बार भी मुंह से आह नहीं निकली. बस एक ही चिंता सता रही थी कि अंतिम बार अपने दो मासूम बेटों का चेहरा देख पाऊंगी या नहीं. बताया कि कुछ लोगों ने ऑटो काटकर उसे निकाला, लेकिन तब तक वह बेहोश हो गयी थी. जब आंख खुली तो अपने आप को एसकेएमसीएच में एक बेड पर पाया. बताया कि वहीं से एक आदमी का फोन लेकर अपने पति को दिल्ली फोन मिलायी. बस इतना बोली कि आपके दोनों वारिस इस दुनिया में नहीं रहे और अब मेरा भी कोई ठीक नहीं है, आप जल्दी चले आइये. फिर फोन काट दी. इसके बाद फिर होश नहीं रहा. जब होश आया तो खुद को इस अस्पताल में पाया.
तीन दिन से बुखार से पीड़ित थे दोनों बच्चे : जख्मी सहाना ने बताया कि दोनों बेटे साहिल और सरताज को पिछले तीन दिन से बुखार लग रहा था. चचेरी सास रईसा खातून के साथ उनकी बेटी गिन्नी खातून भी अपने दाे बच्चोें को इलाज कराने जूरन छपरा स्थित केजरीवाल हॉस्पीटल आने वाली थी. सभी लोग सुबह 11 बजे जीरोमाइल उतर कर ऑटो से केजरीवाल अस्पताल गए. वापस आने के क्रम में जीरो माईल से दूसरी ऑटो से घर जा रहे थे.
अचानक सामने से ठोकर मार दी
सहाना ने बताया कि हमलोग जीरो माइल से ऑटो लिए. फिर एक दूसरे से बात करते हुए जा रहे थे. इस बीच झपहां में अचानक सामने से बस आकर ऑटो में ठोकर मारी. जोर की आवाज हुई. फिर आंख बंद हो गयी. दाहिना पैर ऑटो में फंस गया. फिर पांच सेकेंड बाद दुबारा आवाज हुई, जिसके बाद कुछ याद नहीं आ रहा कि फिर क्या हुआ.
तो अपने बच्चे को लेकर ऑटो से कूद जाती
सड़क दुर्घटना में अपने दो मासूम बेटे को गवां बैठी मां का दर्द उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था. उनके आंखों से गिरते आंसू उनके दर्द को खुद ही बयां कर रहे थे. रोते- राेते बोल रही थी कि मुझे नहीं पता था कि ऑटो में बस ठोकर मारेगी. अगर पता होता तो उससे पहले अपने दोनों बेटे को लेकर बस से कूद जाती. इतना बोलकर वह बेहोश हो गई.