इसमें यूबी स्पेक्ट्रो मीटर, हीमेटाे मीटर, माइक्रोस्कोप जैसे उपकरण खरीदे जायेंगे. हीमेटो मीटर से खून के सभी जांच की जायेगी. साथ ही ब्लड प्रोटीन का पता लगाने के लिए भी इस उपकरण का उपयोग किया जाता है. इन उपकरणों के न होने की वजह से छात्रों को प्रैक्टिकल में काफी परेशानी उठानी पड़ती थी. इसके अलावा डिस्टल वाटर प्लांट भी विभाग लैब में लगवायेगा.
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फिश एंड फिशरीज के छात्रों के बहुरेंगे दिन
मुजफ्फरपुर: फिश एंड फिशरीज के छात्रों के दिन बहुरेंगे. छात्रों के लिए बनाये गये लैब में प्रैक्टिकल के लिए आधुनिक उपकरण लगाये जायेंगे. साथ ही विभाग में बने पोखरे काे अाधुनिक तौर पर विकसित किया जायेगा. इसके लिए डीएसटी (डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नाेलॉजी) मद से विभाग को 50 लाख रुपये दिये गये हैं. इस राशि […]
मुजफ्फरपुर: फिश एंड फिशरीज के छात्रों के दिन बहुरेंगे. छात्रों के लिए बनाये गये लैब में प्रैक्टिकल के लिए आधुनिक उपकरण लगाये जायेंगे. साथ ही विभाग में बने पोखरे काे अाधुनिक तौर पर विकसित किया जायेगा. इसके लिए डीएसटी (डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नाेलॉजी) मद से विभाग को 50 लाख रुपये दिये गये हैं. इस राशि से जूलॉजी विभाग का कायाकल्प होगा. विभाग के एचओडी एसएन सिंह ने बताया कि इन पैसों से फिश एंड फिशरीज विभाग को पूरी तरह से आधुनिक किया जायेगा. यूबी स्पेक्ट्रो मीटर व हीमेटो मीटर जैसे खरीदे जायेंगे उपकरण जूलॉजी विभाग के फिश एंड फिशरीज में विभाग 30 लाख से आधुनिक उपकरण खरीदेगा.
इसमें यूबी स्पेक्ट्रो मीटर, हीमेटाे मीटर, माइक्रोस्कोप जैसे उपकरण खरीदे जायेंगे. हीमेटो मीटर से खून के सभी जांच की जायेगी. साथ ही ब्लड प्रोटीन का पता लगाने के लिए भी इस उपकरण का उपयोग किया जाता है. इन उपकरणों के न होने की वजह से छात्रों को प्रैक्टिकल में काफी परेशानी उठानी पड़ती थी. इसके अलावा डिस्टल वाटर प्लांट भी विभाग लैब में लगवायेगा.
डीएसटी मद से विभाग को पचास लाख रुपये मिले हैं. इससे फिश एंड फिशरीज विभाग में आधुनिक उपकरण खरीदे जायेंगे. साथ ही पोखर का नये सिरे से विकसित किया जायेगा.
डॉ एसएन सिंह, एचओडी, जूलॉजी विभाग
पोखर को किया जायेगा विकसित
विभाग में बने पोखर को विभाग नये सिर से विकसित करेगा. इसके लिए विभाग पांच लाख रुपये खर्च करेगा. मौजूदा समय में पोखर बेहद जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. गंदा पानी होने की वजह से मछलियाें का पता नहीं चल पाता था. इससे पहले विभाग ने उड़ाही काम करवाया था. लेकिन इसके बाद भी पोखर सही तरीके से साफ नहीं हुआ था. इसकी वजह से प्रैक्टिकल में छात्रों को बेहद परेशान होना पड़ता था.
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