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वाल्मीकिनगर जंगल को ऑपरेशन सेंटर बनाने की तैयारी में नक्सली

मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार में नक्सली संगठन को कमजोर पड़ते देख सरकार व प्रशासन ने राहत की सांस ली थी. लेकिन, एक बार फिर नक्सली संगठन यहां अपना पांव पसारने लगे हैं. छत्तीसगढ़ व आंध्र प्रदेश की तर्ज पर नक्सली उत्तर बिहार में अपना बड़ा संगठन स्थापित करने की तैयारी में हैं. वाल्मीकिनगर के टाइगर […]

मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार में नक्सली संगठन को कमजोर पड़ते देख सरकार व प्रशासन ने राहत की सांस ली थी. लेकिन, एक बार फिर नक्सली संगठन यहां अपना पांव पसारने लगे हैं. छत्तीसगढ़ व आंध्र प्रदेश की तर्ज पर नक्सली उत्तर बिहार में अपना बड़ा संगठन स्थापित करने की तैयारी में हैं. वाल्मीकिनगर के टाइगर रिजर्व को नक्सलियों ने सेफ जोन माना है. यहां पर वे अपना बड़ा ऑपरेशन केंद्र बनाने की तैयारी कर रहे हैं.

बताया जाता है िक इसको लेकर छत्तीसगढ़ की तीन टीमें बिहार में भेजी जा चुकी हैं. तीनों टीमों को अलग-अलग इलाके की जिम्मेदारी दी गयी है. टीम में युवतियां भी हैं. टीम के सदस्य
वाल्मीकिनगर जंगल को
संगठन
की मजबूती के लिए पिछले आठ माह से काम कर रहे हैं. लोगों को संगठन से जोड़ने व उसके सिद्धांतों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
विधान सभा चुनाव से पहले ही बाहर से हथियारों की बड़ी खेप भी मंगायी जा चुकी है. इन हथियारों को वाल्मीकिनगर जंगल के साथ ही अन्य सुरक्षित ठिकानों पर रखे जाने की बात कही जा रही है. नक्सलियों की इस योजना ने खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. खुफिया एजेंसियों ने सरकार व प्रशासन को आगाह कर दिया है. गुरुवार को एसएसबी कैंप में आयोजित बैठक में भी इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया.
टाइगर रिजर्व क्षेत्र को ले रहे प्रभाव में
नक्सली वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व क्षेत्र को अपने प्रभाव में लेने लगे हैं. इस इलाके में सेटेलाइट फोन का लोकेशन भी मिला था. एसएसबी, सीआरपीएफ व एसटीएफ ने इस सूचना पर अभियान भी चलाया था, लेकिन सेटेलाइट फोन बरामद करने में उन्हें सफलता नहीं मिली. नक्सली वाल्मीकिनगर से जुड़े नेपाल के चितवन वन का भी लाभ उठाने को लेकर इस इलाके को अपना सुरक्षित क्षेत्र बनाने में जुट गए हैं. वाल्मीकिनगर जंगल 880 वर्ग किलोमीटर में है, जबकि नेपाल का चितवन वन 932 वर्ग किलोमीटर में है. इसके अलावा नेपाल का नवलपरासी वन भी उससे जुड़ा हुआ है. इतना अधिक वन क्षेत्र होने को लेकर ही नक्सलियों ने इसे सुरक्षित क्षेत्र माना है. खुफिया एजेंसियों के अनुसार इन टाइगर सुरक्षित इलाकों में नक्सली तेजी से अपने अभियान में जुड़ गए हैं. नक्सलियों की योजना है कि पहले अपना बड़ा कैंप टाइगर सुरक्षित क्षेत्र बनाकर उत्तर बिहार के इलाकों में बड़ी घटना को अंजाम दिया जाए.
दोन क्षेत्र काे पहले से लिया जा चुका है प्रभाव में
नक्सली वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के बीच के दोन क्षेत्र को अपने प्रभाव में ले चुके हैं. इसमें नौरंगिया व गोबरहिया दोन क्षेत्र भी शामिल है. इसमें थारू लोगों की बस्ती भी है. पहाड़ व नदी के बीच के इस इलाके में थारू बस्ती के लोगों के बीच गरीबी को ध्यान में रखते हुए नक्सलियों ने इन इलाकों को पहले प्रभाव में लिया है. धीरे-धीरे अपना विस्तार शुरू कर दिया है. बीच-बीच में लगातार नक्सली अपना ट्रेनिंग सेंटर भी चलाते रहे हैं.
संगठन के कमजोर होने पर बनायी रणनीति
उत्तर बिहार में नक्सलियों के अधिकांश बड़े सदस्यों को गिरफ्तार किये जाने के बाद संगठन कमजोर पड़ गया. यह देख नक्सलियों ने एक रणनीति के तहत पहले हथियारों की बड़ी खेप इलाकों में छिपायी, फिर छत्तीसगढ़ की टीम को संगठन की मजबूती की जिम्मेदारी दी. इस योजना के तहत वाल्मीकिनगर जंगल को अपना बड़ा सेंटर बनाने में लग गये हैं.
2003 से ही वाल्मीकिनगर जंगल में ट्रेनिंग सेंटर
वाल्मीकिनगर जंगल में नक्सलियों ने अभी अपना ठिकाना नहीं बनाया है, बल्कि पहले से इस जंगल में ट्रेनिंग सेंटर चलता रहा है. वर्ष 2003 में ही वहां ट्रेनिंग सेंटर शुरू हुआ, जो लगातार 2007 तक चला. इन्हीं सेंटरों में भास्कर उर्फ लालबाबू सहनी, रामबाबू राम उर्फ प्रहार, मुसाफिर सहनी, मुकेश पटेल उर्फ विशाल सहित बड़े नक्सलियों ने प्रशिक्षण लिया था. पिछले दिनों गिरफ्तार हार्डकोर नक्सली अमीन सहनी ने भी वाल्मीकिनगर के जंगल में ही अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने की बात स्वीकारी थी. पुलिस की दबिश के कारण बीच-बीच में कैंप बंद कर दिया गया.
2006 में हुई थी सेंट्रल कमेटी की मीटिंग
खुफिया सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2006 में वाल्मीकिनगर के जंगल में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की मीटिंग हुई थी. इसमें कमेटी के सदस्य अभिमन्यु मिश्र, आंध्र प्रदेश के श्रीकांत सिंह, ओशाे उर्फ तालीम बाबा आदि प्रशिक्षण देने आये थे. उसी समय नक्सलियों की रीजनल व जोनल कमेटी का गठन किया गया और एक शेख कमेटी भी बनायी गयी. बताया जाता है कि उस मीटिंग में पोलित ब्यूरो के सदस्य गनपति, विजयभान,
किशन दा व प्रमोद मिश्र भी पहुंचे थे. हालांकि किशन दा नक्सली मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं. उस समय मुसाफिर सहनी उर्फ आलोक दा को उत्तर बिहार रीजनल कमेटी का सदस्य बनाया गया था. शेख कमेटी व उत्तर बिहार पश्चिम जोनल कमेटी की जिम्मेदारी राजाराम उर्फ प्रहार को दी गयी. 14 फरवरी को समस्तीपुर से गिरफ्तार लालबाबू सहनी उर्फ भास्कर ने बताया था कि आंध्र प्रदेश में वह पोलित ब्यूरो के सदस्य गनपति से मिलकर आया था. भास्कर को आंध्र प्रदेश पुलिस ने ही गिरफ्तार भी किया था. भास्कर ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था कि उसने 2003 में वाल्मीकिनगर में ही एसएलआर व एके 47 चलाने का प्रशिक्षण लिया था.
:::बयान:::
नक्सली संगठनों के लिए टाइगर रिजर्व बना सेफ जोन, यहीं से अभियान चलाने की योजना
नेपाल के चितवन वन से भी लाभ उठाने की योजना
दोन क्षेत्र को लिया प्रभाव में, ट्रेनिंग सेंटर चलाने की तैयारी
छत्तीसगढ़ से पहुंची टीम, संगठन के लिए कर रही काम
बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियार आने की सूचना
खुफिया विभाग ने िकया अलर्ट
टीम में युवतियां भी शामिल
पहले भी वाल्मीकिनगर जंगल को नक्सलियों ने पनाहगाह बना रखा था. ऐसे संगठन नए-नए इलाकों को ढूंढते हैं. संगठन कमजोर होने के बाद नयी राह तलाशते हैं. इस पर विशेष नजर रखी जायेगी. सावधानी के लिए तैयारी जरूरी है. इसको लेकर संबंधित विभागों की बैठक बुलाकर रणनीति बनायी जायेगी. इसके साथ ही त्वरित कार्रवाई होगी.
सुनील कुमार, जोनल आइजी- मुजफ्फरपुर
तीन क्षेत्रों में बंटी टीम. छत्तीसगढ़ से नक्सलियों की जो टीम बिहार में आयी है, उसे तीन क्षेत्रों में बांटे जाने की सूचना है. इसमें एक जमुई व लखीसराय, दूसरी टीम गया इलाके में व तीसरी टीम को उत्तर बिहार के इलाकों की जिम्मेदारी दी गयी है. करीब आठ माह से तीनों टीम बिहार के इलाकों में काम कर रही है.

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