मुजफ्फरपुर: पिछले दिनों सोनोग्राफी सेंटरों के खिलाफ चले अभियान में 18 सोनोग्राफी सेंटरों का लाइसेंस रद्द किया गया था. लेकिन, उसके बाद से जांच अभियान रुक गया है. स्वास्थ्य विभाग अनिबंधित सोनोग्राफी सेंटरों के खिलाफ जांच अभियान नहीं चला रही है.
विभागीय अधिकारियों की मानें तो उन्हें यह नहीं पता कि किस क्षेत्र में कितने अनिबंधित सोनोग्राफी सेंटर चल रहे हैं. शिकायत मिलने के बाद ही वे उक्त सेंटर पर छापेमारी करेंगे. हालांकि नियमों की बात की जाए तो जिले में पीएनडीटी एक्ट का पालन करने वाले बहुत कम सोनोग्राफी सेंटर हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग उन सेंटरों पर छापेमारी करने से कतरा रहा है.
सीएस को नहीं मिला एफ फॉर्म
एक्ट के अनुसार सभी सोनोग्राफी सेंटरों को गर्भवती महिला को सोनोग्राफी के समय फॉर्म एफ भरना है, जिसकी एक प्रति सीएस कार्यालय को भेजनी है. लेकिन अभी तक सीएस कार्यालय को एक भी सोनोग्राफी सेंटर ने फॉर्म एफ उपलब्ध नहीं कराया है.
सूत्रों की माने तो जिले में करीब दो हजार गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी होती है. लेकिन एक्ट के अनुसार उसका फॉर्म नहीं भरा जाता. यह एक्ट का उल्लंघन का मामला है. स्वास्थ्य विभाग उन सेंटरों की जांच नहीं कर रहा है. प्रधान सचिव का स्पष्ट निर्देश है कि पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करने वाले सेंटरों को लाइसेंस रद्द कर उसे सील करें व संचालक के खिलाफ एफआइआर की जाये.
संचालक व विभाग में उलझा मामला
सेंटर के संचालक यह तर्क देते हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने फॉर्म उपलब्ध नहीं कराया है. जबकि विभाग का कहना है कि संचालकों को फॉर्म की व्यवस्था खुद करनी है. पीएनडीटी एक्ट की पुस्तक में सारा कुछ लिखा गया है. हैरत की बात यह है कि पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने सोनोग्राफी सेंटर संचालकों के साथ बैठक की थी. लेकिन फॉर्म भरे जाने पर चर्चा नहीं हुई.