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उत्तर बिहार में जेइ के पांच नये मरीज मिले

मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार में जैपनीज इंसेफ्लाइटिस के पांच नये मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. अबतक जेइ से अछूता माने जाने वाले मुजफ्फरपुर में एक सप्ताह पूर्व एक मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी. उस वक्त इसे संयोग मान लिया गया था. लेकिन सोमवार की आयी रिपोर्ट में पांच बच्चों में […]

मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार में जैपनीज इंसेफ्लाइटिस के पांच नये मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. अबतक जेइ से अछूता माने जाने वाले मुजफ्फरपुर में एक सप्ताह पूर्व एक मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी. उस वक्त इसे संयोग मान लिया गया था. लेकिन सोमवार की आयी रिपोर्ट में पांच बच्चों में जेई की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग पेशोपेश में है. जेइ वाले मरीजों में तीन मुजफ्फरपुर, एक दरभंगा व एक पूर्वी चंपारण के हैं. चिंता की बात यह है कि जेइ से अछूते रहने वाले जिलों में आखिर बीमारी का वायरस बच्चों तक कैसे पहुंचा. जिले में अबतक छह बच्चों में जेइ की पुष्टि हो चुकी है.
केजरीवाल अस्पताल में भरती थे बच्चे. जिन बच्चों में जेइ की पुष्टि हुई है, वे सभी केजरीवाल में भरती किये गये थे. इनका ब्लड सैंपल जांच के लिए एसकेएमसीएच भेजा गया था. इन्हीं पांचों बच्चों में जेइ की पुष्टि हुई. इनमें से तीन बच्चों की हालत में सुधार होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन दो बच्चों के अभिभावक बिना बताये बच्चों को लेकर चले गये. इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है.
जिले में टीकाकरण से वंचित हुए थे बच्चे. जिले में साढ़े 49 हजार 402 बच्चे बच्चे जेइ टीकाकरण से वंचित हुए हैं. पिछले वर्ष एक लाख 33 हजार 270 में 83 हजार 868 बच्चे को जेइ का टीका दिया गया था. जिले में जेइ की पुष्टि होने के बाद छूटे गये बच्चों को जेइ से प्रतिरक्षित करना विभाग के लिए संभव नहीं दिख रहा है. जानकारी हो कि पिछले वर्ष विभाग को टीकाकरण के लिए जिले को एक लाख 33 हजार 270 बच्चों का लक्ष्य मिला था. जिसमें 83 हजार 868 बच्चों को ही संपूर्ण टीकाकरण किया जा सका.
प्रत्येक पीएचसी में होगा सर्वे. जेई के पांच मरीज मिलने के बाद सिविल सर्जन डॉ ललिता सिंह ने पीएचसी स्तर पर सर्वे कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह पता लगाया जायेगा कि पीड़ित हुए बच्चों को जेइ का टीका पड़ा या नहीं. यदि टीकाकरण के बाद भी बच्चे जेइ से पीड़ित हुए हैं तो इसकी रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जायेगी. उन्होंने कहा कि इस बात की भी जानकारी ली जायेगी कि कितने बच्चे जेइ से छूट गये हैं. इसके लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन किया जायेगा. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी जांच के लिए कहा जा रहा है.

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