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हाईकोर्ट ने कहा सरेंडर करो, थाने से आरोपित को दे दी जमानत, जबाव-तलब

मुजफ्फरपुर : हाइकोर्ट ने निचली अदालत में सरेंडर करने को कहा, लेकिन थाने से ही आरोपित को जमानत दे दी गयी. जब मामला संज्ञान में आया, तो निचली कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी को तलब किया है. अब उसे 15 दिन में जबाव देना है. मामला सकरा थाने से जुड़ा हुआ है. बताया जाता […]

मुजफ्फरपुर : हाइकोर्ट ने निचली अदालत में सरेंडर करने को कहा, लेकिन थाने से ही आरोपित को जमानत दे दी गयी. जब मामला संज्ञान में आया, तो निचली कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी को तलब किया है. अब उसे 15 दिन में जबाव देना है. मामला सकरा थाने से जुड़ा हुआ है.
बताया जाता है कि कांड संख्या 420/2014 के अनुसंधानक राम दिनेश मंडल ने मारपीट के आरोपियों को सीआरपीसी की धारा-41(1) का लाभ दे दिया. इसको लेकर सीजेएम चतुर्थ रश्मि कुमारी ने अनुसंधानक से जवाब तलब करते हुए 15 दिन के अंदर न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब देने को कहा है.
न्यायालय ने यह आदेश कांड के सूचक बिंदेश्वर पासवान की ओर से उनके अधिवक्ता सुजीत कुमार के आवेदन पर सुनवाई करते हुए दिया है. न्यायालय ने कहा है कि आरोपित अशोक पासवान, कमलदेव पासवान, ब्रह्मदेव पासवान व पवित्र पासवान की ओर से उच्च न्यायालय में क्रिमिनल मिसलेनियस 50023-214 दाखिल किया गया था. इसमें उच्च न्यायालय ने आरोपियों को न्यायालय में समर्पण का आदेश दिया. इसके बावजूद अभियुक्तों को धारा-41(1) का लाभ किन परिस्थितयों में थाने से दिया गया, आप 15 दिन के अंदर न्यायालय में उपस्थित होकर इसका जवाब दें.
सकरा के लौतन निवासी बिंदेश्वर पासवान ने जमीनी विवाद को लेकर मारपीट के मामले में गांव के कमलदेव, ब्रह्मदेव, अशोक, पवित्र, कुशमनिया देवी, रीता देवी व मनीषा कुमारी को आरोपित किया था. इसके बाद जिला जज ने आरोपी कुशमनिया, रीता व मनीषा को अग्रिम जमानत दे दी थी.
वहीं, अन्य लोगों की जमानत अरजी खारिज कर दिया, तो वे हाइकोर्ट में चले गये. वहां उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में समर्पण का आदेश दिया था.

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