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फिश एंड फिशरीज कोर्स से संवर रहा छात्रों का कॅरियर
मुजफ्फरपुर: फिश एंड फिशरीज कोर्स से छात्रों का कॅरियर संवर रहा है. आरडीएस कॉलेज में चलने वाले इस कोर्स के जरिये सैकड़ों छात्र देश व विदेश में नाम रौशन कर रहे हैं. यूजीसी द्वारा 1996-17 में कोर्स को जब मान्यता मिली तो उस वक्त छात्रों की संख्या नाममात्र थी, लेकिन मौजूदा समय में छात्रों की […]
मुजफ्फरपुर: फिश एंड फिशरीज कोर्स से छात्रों का कॅरियर संवर रहा है. आरडीएस कॉलेज में चलने वाले इस कोर्स के जरिये सैकड़ों छात्र देश व विदेश में नाम रौशन कर रहे हैं. यूजीसी द्वारा 1996-17 में कोर्स को जब मान्यता मिली तो उस वक्त छात्रों की संख्या नाममात्र थी, लेकिन मौजूदा समय में छात्रों की संख्या अच्छी खासी है. इंटरमीडिएट जीव विज्ञान के पास होने वाले छात्र इस कोर्स में अपना आवेदन कर सकते हैं.
ये हैं कोर्स के फायदे
फिश एंड फिशरीज से उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं बिहार सहित कोलकाता, केरल, ओडिशा, मुंबई, कोच्चि, गुजरात, विशाखापत्तनम आदि बड़े शहरों में राेजगार पा सकते हैं. कोर्स की को-ऑर्डिनेटर डॉ रंजना कुमारी ने बताया कि कॉलेज से उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं रिसर्च कर विदेशों में जॉब कर रहे हैं. बताया कि इंडिया के अलावा कनाडा, बांग्लादेश, तंजानिया, युगांडा, यून, दुबई जैसे शहरों में अपना भविष्य संवार रहे हैं. साथ ही फिशेर्स सुपरवाइजर, फिश प्रोसेसिंग, फिश कलचर, फिश हार्वेस्टिंग आदि क्षेत्रों में भी बेहद स्कोप है. इनके इस काम में कॉलेज की शिक्षक डॉ ममता कुमारी, डॉ सुषमा कुमारी का विशेष योगदान है.
रिसर्च की है सुविधा
इस कोर्स को करने के बाद छात्र फिश कल्चर व ब्रिडिंग पर बकायदा रिसर्च कर सकते हैं. इसमें छात्रों के लिए लंबा कॅरियर है. खाने-पीने योग्य मछलियों के कल्चर व ब्रिडिंग के लिए देश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी हैं, जो छात्रों से रिसर्च करवाती हैं. इसकी ट्रेनिंग के लिए छात्र जाते भी हैं. इसके अलावा कॉलेज में चार तालाब हैं, जिनमें मछलियां है. छात्र उन मछलियाें पर शोध करते हैं.
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