मुजफ्फरपुर: पंद्रह करोड़ से ज्यादा के सोलर लाइट घोटाले में संबंधित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी का आदेश हो गया है. मामले की सुनवाई करते हुए विजिलेंस जज सुबोध कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट के आदेश के बाद तीन सौ से ज्यादा मुखिया व पंचायत सचिव पर मामला दर्ज होने का रास्ता साफ हो गया है. इसके अलावे दो दर्जन आपूर्तिकर्ता व अठारह बीडीओ के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज होगी. लपेटे में तत्कालीन डीएम आनंद किशोर व डीडीसी नईम अख्तर भी आये हैं. इन लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश हुआ है. इन सभी पर सरकारी कीमत से ज्यादा पर सोलर लाइट खरीदने का आरोप है.
अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की ओर से 20 सितंबर 2010 को ये मामला निगरानी कोर्ट में दर्ज कराया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की जांच एसपी निगरानी, पटना को सौपी थी. मामले की जांच डीएसपी विजय प्रताप सिंह ने की. उन्होंने इस मामले में प्रखंडवार दो रिपोर्ट निगरानी कोर्ट को सौपी थी. पहली रिपोर्ट एक फरवरी 2013 व दूसरी रिपोर्ट एक अगस्त 2013 को सौपी गयी थी. इन रिपोर्ट्स में उन आरोपों की पुष्टि की गयी थी, जो केस करते समय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की ओर से लगाये गये थे.
2006 से 2010 के बीच 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत विभिन्न पंचायतों में सोलर लाइट लगाने का काम हुआ था. इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रति सोलर लाइट की दर 28,100 तय की गयी थी. इसके लिए कोलकाता की भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड से खरीदारी करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन तय दर से अधिक कीमत पर सोलर लाइट की खरीद की गयी. इसमें सरकार की ओर से तय एजेंसी का भी ध्यान नहीं रखा गया.
निगरानी जांच के दौरान ये बात सामने आयी कि पैंतीस हजार से चौहत्तर हजार के बीच में सोलर लाइट की खरीद की गयी. इसके लिए फर्जी कोटेशन व फर्जी दुकानों के लेटर पैड तैयार किये गये, जिनमें मोतिहारी, छपरा, वैशाली, पटना व मुजफ्फरपुर के दुकानों का पता दिया गया, जांच के दौरान जब इन दुकानों के सत्यापन के लिए अधिकारी गये तो पता चला कि दुकानें हैं ही नहीं. बड़े पैमाने पर किये गये इस घोटाले को देख कर जांच अधिकारी भी दंग थे.
जांच रिपोर्ट में डीएसपी विजय प्रताप सिंह ने साफ लिखा था, पंचायत सचिव ने चेक से एजेंसियों को भुगतान किया है. इसका प्रमाण वह अभिलेख हैं, जो जांच के दौरान दिखाये गये हैं. इससे साफ है, इस मामले में मुखिया व पंचायत सचिव मिले हुये थे. इस राशि को तत्कालीन डीडीसी नईम अख्तर की ओर से जारी किया गया.
जांच के दौरान दस हजार पन्नों के अभिलेख निगरानी ने एकत्र किये हैं. इनमें विभिन्न पंचायतों की ओर से लगायी गयी सोलर लाइट के कागजात हैं. डीएम से लेकर डीडीसी की ओर से इस मामले में जो भी पत्रचार किया गया है. वह पत्र भी जांच रिपोर्ट में लगाये गये हैं. डीएसपी ने पहली रिपोर्ट 35 पन्नों की सौपी थी, जबकि दूसरी रिपोर्ट बीस पन्नों की थी. इस तरह से मामले की जांच रिपोर्ट पचपन पन्नों में दर्ज है. इसी के आधार पर निगरानी कोर्ट ने प्राथमिकी का निर्देश दिया है. सभी आरोपितों पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जायेगा. अगर इसमें ये लोग दोषी पाये जाते हैं तो तीन से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है.