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पंचरुखी में दो माह से चिकेन पॉक्स, परचा तक नहीं बांटा
मुजफ्फरपुर: मोतीपुर प्रखंड का पंचरूखी गांव दो माह से चिकेन पॉक्स से पीड़ति है. यहां कोई ऐसा घर नहीं है, जिसमें माताजी (चिकेन पॉक्स) बीमारी का बास नहीं हो. ज्यादातर बच्चे चिकेन पॉक्स से पीड़ित हुये. चार बच्चे काल के गाल में समा गये. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बीमारी का पता नहीं चल […]
मुजफ्फरपुर: मोतीपुर प्रखंड का पंचरूखी गांव दो माह से चिकेन पॉक्स से पीड़ति है. यहां कोई ऐसा घर नहीं है, जिसमें माताजी (चिकेन पॉक्स) बीमारी का बास नहीं हो. ज्यादातर बच्चे चिकेन पॉक्स से पीड़ित हुये. चार बच्चे काल के गाल में समा गये. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बीमारी का पता नहीं चल सका. चार बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग जागा है. अब यहां अधिकारियों की फौज आ रहे हैं.
आश्चर्य है कि बच्चों की मौत के पहले इस गांव में न तो टीकाकरण हुआ
और न ही स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता के लिए कोई परचा बांटा. बच्चे इस संकट की घड़ी में क्या खायें, कैसे रहें, इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग नहीं दे सका.
दवा से माता जी खिसिया जाइथिन. ताड़ के पेड़ के पास बैठी मुस्मात रजपतनी देवी बोलती है कि कोई आज से माता जी नहीं है. दो माह बीत गये, दो माह. प्रभु मांझी, सुरेश मांझी और मुन्ना मांझी के सभी बच्चों को माता जी हो गयी. इन्हें कोई दवा, सुई नहीं पड़ी. दवा सुई देने से खिसिया (आक्रोशित) जाती हैं. इसलिए पूजा होती है, पूजा.
चोखा भात खाने वाला बच्चा चल भी नहीं सकता. महिलाओं की गोष्ठी में बैठी धना देवी सबको हांके जा रही है. बोलती है बच्चा सब खाली चोखा भात खाता है. माता जी के खिसियाने के डर से तेल, हल्दी, मिर्च, प्याज, जमाइन और सब मसाला बंद है. बच्चा सब खाये बिना मर रहा है. चोखा भात से क्या होगा? इसमें कोई ताकत है. यही पर बैठी रमौती देवी व रामदुलारी देवी कहती है कि माता जी खाली हमही सब घर के बच्चा के काहेला हो जाइथिन? बस्ती में गनगी (गनगी) है, भुखमरी है. ताकत कम होने से बच्चा सब के आंख ही बंद हो जाता है.
पहले इ टोला के गनगी त दू करो.इस बात पर फिर धना देवी बोलती है बड़का लोग के घर में छत है, प्लास्टर है. और सफलेटी (साफ-सफाई) है. वहां यह बीमारी कैसे होगी? बीमारी ठीक होला के बाद साकल हुमाद (पूजा) होती है. ऐसे में क्या होगा? सब लोग अपन- अपन घर के फिलैन (फिनाइल) से साफ करो. पानी में डिटाल रख के बच्चा सब के स्नान कराओ, बीमारी नहीं होगी. जब तक खाना में मक्खी बैठतइ, आदत न सुधारवे तब तक बीमारी से कोई मुक्त नहीं करायेगा. केतना जंगल और गनगी(गंददी) में इस सब रहता है. आंख से देखो.
सब कुछ कह देता बच्चों का शरीर. कुपोषण भी बीमारी का एक बड़ा कारण हो सकता है. पांच वर्ष के बच्चों को खड़ा होने की ताकत नहीं है. पेट निकला हुआ, हड्डियों से चिपटा हाथ- पांव का मांस सब कुछ बयां कर रहा है. पुलिस मांझी का पुत्र शनिश कुमार, प्रीत मांझी की बेटी कंचन कुमारी, शिवजी और धीरज कुमार भी पीड़ति है. रूपम देवी का बेटा अजीत कुमार व अनूप कुमारी भी पीड़ा से बिलख रही थी. शांति देवी का बेटा छोटू कुमार व साजन कुमार की स्थिति अच्छी नहीं है.
मरे के बाद सब आया, पहले कोई नहीं
राजकीय प्राथमिक स्कूल के समीप रहने वाले राज कुमार मांझी का पुत्र कृष्णनंदन कुमार व देवदास कुमार की स्थिति अच्छी नहीं है. गोनौर मांझी के परिवार में गुड़यिा, प्रमीता व विदेश कुमार बीमार है. दादी अकली देवी बताती है कि बच्चा के मरे से पहले एक सुई तक कोई नहीं देने आया था. परसो से सब साहेब आ रहे हैं. गोनौर मांझी की पत्नी मालती देवी बताती है कि पहले कभी सरकारी सुई त दूर, कोई इ टोला में झांके नहीं आता है. बोलती है कोई घर का बच्चा बीमारी से छुटल नहीं है. मरने के बाद सब आया, पहले से आता त बच्चा नहीं मरता.
इन बच्चों की हुई थी मौत. शिव कुमार मांझी की बेटी पायल कुमारी, राजू मांझी की बेटी पूजा कुमारी, शंभु मांझी का पुत्र अरंिवद कुमार, नुनू मांझी का पुत्र अंकुर कुमार
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