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इनसान व वाहनों की सेहत बिगाड़ रहे ब्रेकर
नीरज मिश्र मुजफ्फरपुर : सड़कों व कॉलाेनियों में बने स्पीड ब्रेकर इंसान के साथ वाहनों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है. भारतीय सड़क कांग्रेस (आइआरसी) के मानकों पर खड़े नहीं हैं. रिहायशी कॉलाेनियों में हर दरवाजे के सामने तीखी नोक वाले ब्रेेकर बने हुए हैं जिसकी बनावट बेतरतीब है. इसे पार करने में खुद […]
नीरज मिश्र
मुजफ्फरपुर : सड़कों व कॉलाेनियों में बने स्पीड ब्रेकर इंसान के साथ वाहनों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है. भारतीय सड़क कांग्रेस (आइआरसी) के मानकों पर खड़े नहीं हैं. रिहायशी कॉलाेनियों में हर दरवाजे के सामने तीखी नोक वाले ब्रेेकर बने हुए हैं जिसकी बनावट बेतरतीब है.
इसे पार करने में खुद के साथ-साथ वाहनों के कल पुर्जें भी ढीले हो रहे हैं. वही सड़कों पर पुराने ब्रेकरों के विकल्प के तौर पर बनाई जा रही रबर स्ट्रिप भी कारगार साबित नहीं हो रही है. एक तो यह बहुत जल्दी घिसता है. या तो इनकी कीलों में फंसकर टायर पंचर हो जाते हैं.
वाहनों की रफ्तार हो सके धीमी
केंद्रीय सड़क शोध संगठन (सीआरआरआइ) ने स्पीड ब्रेकर का निर्माण इस उद्देश्य से किया था कि वाहनों की रफ्तार को भीड़-भाड़ वाले इलाकों में धीमा हो सके ताकि हादसों का खतरा भी कम हो सके. लेकिन मुख्य सड़कों समेत कॉलोनी व स्कूलों के आसपास की सड़कों पर ऐसे ब्रेकर हैं, जिन पर वाहन या तो रुक जाते या सफर करने वालों के साथ वाहनों की भी सेहत खराब हो रही है.
इंडियन रोड कांग्रेस के मानक
स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और कर्व 17 मीटर होना चाहिए.
फिलहाल रबर स्ट्रिप को दी जा रही वरीयता
ब्रेकर से 40 मीटर पहले लगा हो एक चेतावनी बोर्ड
दूर से दिखने के लिए थर्मोप्लास्टिक पेंट की बने पट्टियां
ट्रैफिक पुलिस या आरडब्लूए करते हैं संबंधित एजेंसी को आवेदन
पीडब्लूडी, एनडीएमसी, डीडीए सहित नगर निगम की एजेंसियां करती हैं सर्वे
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