मुजफ्फरपुर: जीवन स्तर सुधारने (लाइवली हुड) के नाम पर गरीबों को कर्ज देकर उन्हें कंगाल करने का खेल जिले में बेरोकटोक चल रहा है. 30 प्रतिशत तक वार्षिक दर पर महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के बीच लोन बांट रही लखनऊ की नीड्स माइक्रो फाइनेंस के च्रकव्यूह में फंस कर जिले के हजारों गरीब घर- संपत्ति बेच कर उजड़ने की स्थिति में आ गये हैं.
नीड्स की शाखाएं सरैया, मोतीपुर, कांटी, पकड़ी व चकिया में हैं. नीड्स प्रतिनिधि नियुक्त कर फाइनेंस कंपनी 2009 से महिला समूहों को लोन देने का कारोबार कर रही है. सूत्रों के अनुसार जिले में नीड्स माइक्रो फाइनेंस के 70 से अधिक प्रतिनिधि व पदाधिकारी कार्यरत हैं.
ब्लैंक स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट
कंपनी में चार महिलाओं का समूह तैयार कर कारोबार के लिए लोन दिया जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि लोन देने से पहले समूह की महिलाओं को ब्लैंक स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कराया जाता है. नीड्स के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिले में वर्तमान में पांच हजार से अधिक महिला समूहों के बीच तीन वर्ष की अवधि में करीब 40 करोड़ लोन दिया गया है. प्रथम चरण में एक समूह को 40 हजार रुपये तक दिया जाता है. लोन चुकता करने पर दुबारा राशि दी जती है.
ऐसे मिलता है लोन
एक महिला को दस हजार रुपये लोन पास कराने में प्रोसेसिंग व अन्य चार्ज के तौर पर 1250 रुपये की राशि अग्रिम कटौती होती है. इसके बाद हर महीना एक साल तक 955 रुपये के हिसाब से लोन चुकता करना होता है. यानी 8750 रुपये के मूलधन पर 2710 रुपये ब्याज वसूला जाता है. वार्षिक प्रतिशत के रूप में देखें तो यह करीब 30 प्रतिशत तक होता है. जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेगुलेशन के मुताबिक अधिकतम सलाना ब्याज 18 प्रतिशत तक ही होना चाहिए.
पैसा नहीं लौटाने पर बाउंसिंग
महिला समूह के सदस्य निर्धारित अवधि (एक साल ) के अंदर पैसा वापस नहीं करते है तो नीड्स माइक्रो फाइनेंस बाउंसर के सहारे रुपये
वसूल करती है. लोन लेने वाले के घर एक साथ बाइक से आठ-दस लोग पहुंचते हैं. फिर डरा धमका कर पैसा वसूल करते हैं. पैसा नहीं वापस करने पर समूह पर प्रतिदिन सौ रुपये फाइन लगा दिया जाता है.
बांग्लादेश से जुड़ा है इतिहास
रोजगार के नाम पर समूहों को लोन देने का इतिहास बांग्लादेश से जुड़ा है. बताया जाता है कि मो युनूस नाम के व्यक्ति को समूहों को लोन देने पर सरकार ने पुरस्कार से सम्मानित
किया था, लेकिन कुछ ही दिनों में असलियत सामने आने पर उन पर केस दर्ज कराया गया. इसी
तरह आंध्र प्रदेश के एसकेएस कंपनी पर लोन के नाम पर गरीबों के शोषण करने पर बैन लगा दिया गया था.