मुजफ्फरपुर: बिहार में कृषि की हालत दयनीय है. किसानों को उनकी मेहनत की सही कीमत नहीं मिल रही. सरकार किसानों को राहत देने की बजाय पूंजीपतियों की मदद कर रही है. ऐसे में इसके खिलाफ संघर्ष जरूरी है. पर संघर्ष तभी मजबूत हो सकता है, जब संगठनात्मक इकाई मजबूत होगी. ऐसे में संगठन को जिला स्तर पर नहीं, बल्कि प्रखंड व पंचायत स्तर पर मजबूत बनाना होगा.
यह बातें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कही. वे शनिवार को कलमबाग चौक स्थित आदर्श छात्रवास में शुरू हुई दो दिवसीय भाजपा किसान मोरचा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का उद्घाटन कर रहे थे. उन्होंने कहा, उत्तर बिहार में गन्ना किसानों की आय का मुख्य साधन है. सरकार की बेरुखी के कारण नवंबर की बजाय दिसंबर में गन्ने की पेराई हुई. इससे गेहूं की खेती भी प्रभावित हुई. इससे किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ. ऊपर से तुक्का यह कि पिछले एक साल में डीजल की कीमत में 13 बार इजाफा हुआ, पर गन्ने की कीमत प्रति क्विंटल 245 से 255 रुपये तक ही बनी रही. उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों को राहत के लिए राज्य सरकार से 25 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने की मांग की. पर सरकार ने उल्टे मिल मालिकों को पांच रुपये प्रति क्विंटल गन्ने की खरीद पर सब्सिडी की घोषणा कर दी. उन्होंने किसान मोरचा से इसके खिलाफ आवाज उठाने की अपील की.
परिवर्तन की अगुआई करेंगे किसान
पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, नीतीश सरकार ने भाजपा के साथ विश्वासघात किया है. वे मुगालते में हैं, एनडीए को लोगों का समर्थन उनके कारण प्राप्त हुआ था. लोकसभा व विधानसभा चुनाव में जनता बतायेगी कि विश्वासघात का परिणाम क्या होता है? जनता परिवर्तन चाहती है, इस परिवर्तन की अगुआई किसान ही करेंगे. उन्होंने कहा, आज राज्य में कृषि व किसानों की हालत दयनीय है. उन्हें उनकी मेहनत का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसान मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष रत्नेश कुमार सिंह ने कहा, केंद्र में अगली सरकार उसी की बनेगी, जो किसानों के हित का काम करेगा. स्वागत जिलाध्यक्ष अनिल मिश्र व मंच संचालन नीरज नयन ने किया. मौके पर किसान मोरचा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही, भाजपा के जिला प्रभारी हरेंद्र सिंह, विधायक सुरेश शर्मा, औराई विधायक रामसूरत राय, विधान पार्षद नरेंद्र सिंह सहित अन्य नेता मौजूद थे.
पांच माह में खत्म होगा किसानों का संघर्ष
प्रदेश अध्यक्ष ने गंठबंधन सरकार में रहते हुए अपनी उपलब्धियां भी गिनायी. उन्होंने कहा, जदयू-भाजपा गंठबंधन में सहकारिता विभाग पार्टी के हिस्से में आया. उस समय पैक्स पूरी तरह मृतप्राय थे. सरकार में उनकी पार्टी के मंत्री ने न सिर्फ पैक्स को पुनर्जीवित किया, बल्कि किसानों को लाभ भी पहुंचाया. यही नहीं प्रदेश में कृषि की हालत में सुधार के लिए कृषि कैबिनेट व कृषि रोड मैप बनाया गया. भाजपा के सरकार से हटने के सात माह बाद से कृषि कैबिनेट की एक भी बैठक नहीं हुई. मुख्यमंत्री कृषि रोड मैप की चर्चा तक करना छोड़ चुके हैं. इसके कारण किसान बेहाल हैं व संघर्ष पर उतारू हैं. पर उनका संघर्ष पांच माह बाद खत्म हो जायेगा, जब केंद्र में भाजपा की सरकार होगी. 23 माह बाद बिहार में भी पार्टी का झंडा लहरायेगा.