मुजफ्फरपुर: सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद जिले में खेती-किसानी की स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो पा रही है. खाद्य सुरक्षा की हालत को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2007 में शुरू केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना की यहां हवा निकल रही है. गेहूं, चावल व दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाने के उद्देश्य से लागू की गई, इस योजना की उपलब्धि महज किसानों के बीच बीज वितरण तक ही सिमट कर रह गई है. बावजूद इसके जिले में एक ओर जहां रबी का आच्छादन लक्ष्य बढ़ा दिया गया, वहीं दूसरी ओर मिशन के अंतर्गत बीज वितरण का लक्ष्य घट कर दो तिहाई हो गया. मिशन की यह स्थिति तब सामने आई जब प्रभात पड़ताल की कड़ी में इसकी छानबीन की गई.
बताते चलें कि जिले में गेहूं के आच्छादन लक्ष्य 85 हजार हेक्टेयर को बढ़ाकर 95 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है. जबकि मिशन के तहत बांटे जा रहे अनुदानित बीजों का लक्ष्य पिछले तीन सालों में घटकर दो तिहाई हो गया है. वर्ष 2011-12 में 32,343 क्विंटल, 2012-13 में 24,000 क्विंटल व 2013-14 में 9367.40 क्विंटल बीज वितरित किए गए.
एक से लेकर दो क्विंटल तक बीज एक किसान को दिया गया. बीज वितरण का ग्राफ नीचे उतरने के बारे में यह तर्क दिया जा रहा है कि दस वर्ष से पुरानी वेराइटी के वितरण पर रोक लगा दी गई. इससे यह स्थिति उत्पन्न हुई. वहीं 2010 से हाईब्रीड बीज पर 200 रुपये अनुदान के चलन हो जाने से भी इसमें गिरावट आई. इसी के कारण वर्ष 2013-14 में धान के आच्छादन लक्ष्य 1.48 लाख
हेक्टेयर के विरूद्ध केवल 1958 क्विंटल बीज का वितरण हो सका. चालू वित्तीय वर्ष में अरहर, उरद, मूंग व अन्य दलहन का कुल लक्ष्य 5900 हेक्टेयर है. फिर भी इस वर्ष दलहन का बीज नहीं बांटा गया.
यह है उपाय
क्षेत्र का प्रसार तथा उत्पादकता वृद्धि
मृदा की उर्वरता और उत्पादकता की बहाली
रोजगार के अवसर पैदा करना
किसानों के आत्मविश्वास के
लिए खेत स्तर की अर्थव्यवस्था
को बढ़ाना