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महाकवि जानकीवल्लभ का कृतत्वि वंदनीय : राज्यपाल

महाकवि जानकीवल्लभ का कृतित्व वंदनीय : राज्यपालनिराला निकेतन में मनाया गया महाकवि का जन्मशती समारोहराज्यपाल श्रीरामनाथ कोविंद ने किया समारोह का उद्घाटनमुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हाराज्यपाल श्रीकोविंद ने कहा, यहां के कुत्ते-बिल्लियों ने भी जीया महाकवि का जीवनडॉ मृदुला सिन्हा ने सुनाये कई संस्मरणविवि के कुलपति, विधायक […]

महाकवि जानकीवल्लभ का कृतित्व वंदनीय : राज्यपालनिराला निकेतन में मनाया गया महाकवि का जन्मशती समारोहराज्यपाल श्रीरामनाथ कोविंद ने किया समारोह का उद्घाटनमुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हाराज्यपाल श्रीकोविंद ने कहा, यहां के कुत्ते-बिल्लियों ने भी जीया महाकवि का जीवनडॉ मृदुला सिन्हा ने सुनाये कई संस्मरणविवि के कुलपति, विधायक व मेयर सहित कई गण्यमान्य रहे मौजूदसाहित्यकारों का लगा मेला, आचार्य की कृतियों को विस्तार देगा ट्रस्टस्वर्णिम कला केंद्र की बालिकाओं ने किया स्वागत गानवरीय संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री महामानव थे. उनकी रचनाएं हम सब की आंखें खोलने वाली हैं. उनका कृतित्व वंदनीय है. उनकी रचनाएं समाज की धड़कन है. महाकवि के मेघगीत की रचना ‘ऊपर-ऊपर पी जाते हैं जो पीने वाले हैं…’ में समाज के अभिवंचित वर्ग की आवाज है. कैसे उसका हिस्सा मारा जाता है, यह रचना में व्यक्त हुआ है. जीवन का यह दृष्टांत आज भी देखा जा सकता है. उक्त बातें राज्यपाल श्रीराम नाथ काेविंद ने बुधवार को निराला निकेतन में महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जन्मशती समारोह के उद्घाटन संबोधन में कहीं. इससे पूर्व उन्होंने मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. संबोधन के क्रम में उन्होंने महाकवि की कविता ‘जनता धरती पर बैठी है, नभ में मंच खड़ा है, जो जितना है दूर मही से, उतना वही बड़ा है…’ रचना का उल्लेख करते हुए कहा कि रचना में महाकवि ने यथार्थ काे व्यक्त किया है. इसमें हम लोग भी आ जाते हैं. समाज की यही विसंगतियां हमें सालती है. राज्यपाल ने कहा कि गुलाब मिले या मन मांगी मुराद पूरी हो, इसके लिए कांटों काे झेलना पड़ता है. सहज मिलने वाली वस्तु का मोल ही क्या. महाकवि ने संस्कृत में पांच, हिंदी में 25 पुस्तकों के साथ आत्मकथा, कहानी व नाटक भी लिखे हैं. इतना विपुल साहित्य भंडार बिरले से ही संभव है. महाकवि जानकीवल्लभ महाप्राण निराला के अनुयायी थे. निराला निकेतन उसी की छाप है. राज्यपाल ने कहा कि जब इस कार्यक्रम में आने का प्रस्ताव मुझे दिया गया तो मुझे संकोच हो रहा था. मैं साहित्य का विद्यार्थी नहीं हूं. ऐसे में मेरा क्या काम हो सकता है. लेकिन मैंने सोचा कि इतने बड़े महाकवि की जन्मशती मनायी जा रही है. मुझे राज्यपाल होने के नाते बिहार की जनता की ओर से महाकवि को प्रणाम निवेदित करने जाना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि मैं जब यहां आ रहा था तो किसी ने कहा कि शास्त्री जी ने कुत्ते-बिल्लियों के साथ जीवन जीया. यह सुनकर मुझे पीड़ा हुई. मेरा मानना है कि शास्त्री जी के साथ रहकर कुत्ते-बिल्लियों ने भी शास्त्री जी का जीवन जीया. शास्त्री जी की यश काया सच्चा अनुगामी बनने की प्रेरणा देता है. इससे पूर्व राज्यपाल श्रीकोविंद ने आचार्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. राष्ट्रगीत के गायन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. स्वर्णिम कला केंद्र के कलाकारों ने स्वागत गान प्रस्तुत किया. स्वागत भाषण समारोह के संयोजक डॉ रामप्रताप नीरज ने किया. संचालन महाकवि जानकीवल्लभ ट्रस्ट के सचिव डॉ गोपेश्वर सिंह कर रहे थे. इस मौके पर दोनों राज्यपालों को आयोजन समिति की ओर से अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया. नगर विधायक सुरेश शर्मा ने उन्हें बुके प्रदान किया. समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रामकृपाल सिन्हा, मेयर वर्षा सिंह, एमडीडीएम कॉलेज की प्राचार्य डॉ ममता रानी, ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ जयमंगल मिश्र, डॉ रश्मिरेखा, महाकवि की पुत्री शैलबाला व दामाद प्रभात चंद्र मिश्र, डॉ संजय पंकज, सीसीडीसी डॉ तारण राय, डीएम व एसएसपी मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन डीओ डॉ कल्याण झा ने किया. सूबे के विश्वविद्यालयों में पढ़ाये जाएं महाकविविशिष्ट अतिथि विवि के कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने कहा कि विवि के पीजी विभाग में महाकवि जानकीवल्लभ की रचना पढ़ाई जाती है. उनकी रचना सूबे के सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जानी चाहिए. साहित्यकारों ने महाकवि के नाम पर ट्रस्ट बना कर बड़ा काम किया है. महाकवि की रचनाओं को देश स्तर पर बढ़ावा देने के लिए काम होना चाहिए. मुजफ्फरपुर को पहचान देने में महाकवि का बहुत बड़ा योगदान है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ शिवदास पांडेय ने कहा कि आज का दिन बहुत बड़ा है. यहां दो राज्यों के राज्यपाल मौजूद हैं. शास्त्री जी ने किस व्यथा से अंतिम दिन गुजारे, इसका दर्द बाकी है. महाकवि को जीवन भर आलोचकों का दंश झेलना पड़ा. उनकी आलोचना समग्र रूप से नहीं की गयी. साहित्यकार होना आसान, जानकीवल्लभ होना मुश्किलगोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा ने कहा कि साहित्यकार होना आसान है, जानकीवल्लभ होना मुश्किल. एक ऐसा पंडित जिसने वेदों की ऋचाओं को इसी जमीन पर उतार कर दिखा दिया. भावों के वृक्ष लगा दिए. कोई भेदभाव नहीं. कॉलेज में उन्हें पढ़ाने का अवसर मिला. लेकिन उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें काम नहीं मिला. यह कैसा सम्मान है विद्वता का. हमलोग उनके जन्मशती समाराेह का उद्घाटन करने योग्य नहीं हैं. हमलोग तो उनके बच्चे की तरह हैं. उनके लेखन को विस्तार देने के लिए एक कमेटी बनायी गयी थी. क्या-क्या करना है, इस पर पर विचार होगा. हमलोग सहयोग का वादा करने आए हैं. राज्यपाल डॉ सिन्हा ने कई संस्मरण भी सुनाये. उन्होंने कहा कि जब मैं उनसे मिलने आती थी तो सोफे पर उनके प्रिय कुत्ते-बिल्लियां बैठे होते थे. बैठने की जगह नहीं होती थी, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी कि उनसे कहूं. उन्होंने कहा कि मैं एक बार पति के साथ उनसे मिलने आयी थी. वे मुझे काफी नाराज थे. पहचानने से इनकार कर दिया. बहुत डांटा. फिर बोले, आप बहुत धैर्यवान हैं. इतना बक-बक कर रहा हूं, लेकिन आप कुछ नहीं बाेल रही हैं. उनकी डांट मैं आंचल में धान व दूब की तरह बांध कर ले आयी. राज्यपाल डॉ सिन्हा ने कहा कि पूरे वर्ष यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयाेजन होना चाहिए. तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पणकार्यक्रम के दौरान राज्यपाल श्रीराम नाथ कोविंद व डॉ मृदुला सिन्हा ने आचार्य जानकीवल्लभ पर केंद्रित तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया. इसमें मिथिला विवि की डॉ उषा कुमारी की पुस्तक जानकीवल्लभ शास्त्री के काव्य में मानवीय संवेदना, गढ़वाल यूनवर्सिटी के डॉ बाल कृष्ण की पुस्तक जानकीवल्लभ शास्त्री के काव्य का सौंदर्य शास्त्रीय अध्ययन, बीएचयू के हरीश कुमार की पुस्तक जानकीवल्लभ शास्त्री का रचना संसार शामिल थी.

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