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300 करोड़ लोगों को दिया जाता है असुरक्षित इंजेक्शन

मुजफ्फरपुर : असुरक्षित इंजेक्शन से विकासशील देशों में प्रतिवर्ष दो करोड़ लोग हेपटाइटिस बी, 20 लाख लोग हेपटाइटिस सी व ढाई लाख लोग एचआइवी से पीड़ित हो रहे हैं. इससे प्रति वर्ष 10 लाख लोगों की मौत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के ये आंकड़ें चौंकाने वाले जरूर है, लेकिन विकासशील देशों की यही […]

मुजफ्फरपुर : असुरक्षित इंजेक्शन से विकासशील देशों में प्रतिवर्ष दो करोड़ लोग हेपटाइटिस बी, 20 लाख लोग हेपटाइटिस सी व ढाई लाख लोग एचआइवी से पीड़ित हो रहे हैं. इससे प्रति वर्ष 10 लाख लोगों की मौत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के ये आंकड़ें चौंकाने वाले जरूर है, लेकिन विकासशील देशों की यही हकीकत है.

असुरक्षित इंजेक्शन साइलेंट महामारी के रूप में फैल रही है. प्रत्येक एक मिनट में एक व्यक्ति इससे अपनी जान गंवा रहे हैं. यह बातें इंडियन पेडियाट्रिक्स एकेडमी की ओर से सेफ्टी इंजेक्शन प्रैक्टिस के राष्ट्रीय संयोजक डॉ अरुण साह ने प्रेस वार्ता में कही.

उन्होंने कहा कि इनकलेन के अध्ययन से यह पता चलता है कि देश में प्रति वर्ष 600 करोड़ लोगों को इंजेक्शन दिया जाता है. लेकिन 300 करोड़ सिरिंज व निडिल का ही उत्पादन होता है. जबकि 300 करोड़ सिरिंज व निडिल को रिसाइकिल करके बाजार में लाया जाता है. ऐसे ही सिरिंज संक्रमण फैलाते हैं.

उन्होंने कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ को सूई देने का भी तरीका पता नहीं होता. गलत तरीके से सूई देने से भी हाथों का इंफेक्शन सूई लेने वालों के शरीर में चला जाता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह समझते हैं कि पुराने सिरिंज में नये निडल लगा देने से संक्रमण नहीं होता. लेकिन यह मान्यता गलत है.

डॉ साह ने कहा कि सेफ इंजेक्शन प्रैक्टिस के लिए जागरूकता की जरूरत है तभी खतरनाक बीमारियों से हम बच सकते हैं.

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