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साइबर फ्रॉड के तीन अभियुक्तों पर प्रोडक्शन वारंट जारी

मुजफ्फरपुर: सीबीआइ की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी मौसमी सिंह ने शनिवार को एसबीआइ में हुए 29.25 करोड़ साइबर फ्रॉड मामले में रांची जेल में बंद तीन अभियुक्तों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. ये तुर्की चढुआ निवासी संजय राज, बालूघाट निवासी विकास कुमार राजा व चर्च रोड चंदवारा निवासी मोनिस परवेज ‘मिंटू’ है. तीनों एडीबी […]

मुजफ्फरपुर: सीबीआइ की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी मौसमी सिंह ने शनिवार को एसबीआइ में हुए 29.25 करोड़ साइबर फ्रॉड मामले में रांची जेल में बंद तीन अभियुक्तों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. ये तुर्की चढुआ निवासी संजय राज, बालूघाट निवासी विकास कुमार राजा व चर्च रोड चंदवारा निवासी मोनिस परवेज ‘मिंटू’ है. तीनों एडीबी गोबरसही शाखा में हुए 12.5 करोड़ के साइबर फ्रॉड के मामले में रांची जेल में बंद है. दिसंबर 2013 में को यह केस सीबीआइ के विशेष अदालत में आया था.

क्या था मामला : एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा से 10 मई 2011 को 12.50 करोड़ रुपये का अवैध हस्तानांतरण किया गया था. यह राशि मुंबई स्थित एरिस्टो फार्मास्युटिकल्स के खाते से एडीबी शाखा के सिस्टम को हैक कर निकाली गई थी. इसमें से 50 लाख रुपये भगवानपुर सिंडिकेट बैंक के खाताधारी श्याम कुमार सिंह के खाते से निकाले गये थे. वहीं 12 करोड़ रुपये रांची स्थित महारानी ऑटो मोबाइल्स के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर किये गये थे. इसमें से डेढ़ करोड़ रुपये की निकासी हुई थी, लेकिन साढ़े दस करोड़ रुपये सुरक्षित बचा लिये गये थे.

दोबारा घटना को दिया गया अंजाम : 12.5 करोड़ के फ्रॉड के बाद 25 नवंबर 2011 को उसी शाखा से 29.25 करोड़ का साइबर फ्रॉड हुआ. जिसमें शाखा के सिस्टम को हैक करके धनबाद स्थित बीसीसीएल के खाते से 29.25 करोड़ रुपये यूपी के मोदी नगर स्थित पीएनबी के एक एकाउंट में ट्रांसफर किया गया था. यह खाता नेशनल फॉमर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव के नाम से था, जिसकी प्रोपराइटर मिस दिव्या सिंह थी.

फ्रॉड में तीनों की भूमिका : इन तीनों ने ही फ्रॉड के किंगपीन नितिन राज का पूरा सहयोग किया था. सीबीआइ ने चाजर्शीट में इस बात का खुलासा किया था. बताया गया था कि संजय राज ने बैंक के सिस्टम में वाइफाई डिवाइस लगाया था. जो बैंक के सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गया था. वहीं विकास कुमार राजा ने 12.5 के फ्रॉड मामले में मुंबई के एरिस्टो फॉर्माटयुक्लस का खाता, महरानी ऑटो मोबाइल्स और शिव शक्ति ट्रेडर्स के खाते का पूरा डिटेल इकठ्ठा किया था. वहीं मोनिस परवेज ने फ्रॉड में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस की व्यवस्था की थी.

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