27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मजदूरी के नाम पर निगम में 1.80 करोड़ का बंदरबांट

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में घोटाला और वित्तीय अनियमितता का सिलसिला जारी है. काम हो न हो, लेकिन पैसे निकाल खजाना खाली किया जा रहा है. नगर निगम में फिर दैनिक मजदूरी के नाम पर 1.80 करोड़ रुपये का बंदरबांट हुआ है. निगम के अधिकारियों और कर्मियों ने इतनी बड़ी राशि का बंदरबांट दो तरह […]

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में घोटाला और वित्तीय अनियमितता का सिलसिला जारी है. काम हो न हो, लेकिन पैसे निकाल खजाना खाली किया जा रहा है. नगर निगम में फिर दैनिक मजदूरी के नाम पर 1.80 करोड़ रुपये का बंदरबांट हुआ है. निगम के अधिकारियों और कर्मियों ने इतनी बड़ी राशि का बंदरबांट दो तरह से किया है. दैनिक मजदूरों (अस्थायी) को 77,26830 रुपये और स्थायी दैनिक वेतन भोगी कर्मी पर 1,02,88,475 रुपये का अनियमित तरीके से बांट दिया है. इस मामले का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है.
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने नियम बनाया और समय-समय पर सभी नगर निकायों को यह आदेश दिया था कि दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को सेवा में नहीं रखना है. सरकार के इस आदेश के विपरीत नगर निगम ने वर्ष 2009-10 में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को कार्य पर लगातार रखा. और 77,26,830 रुपये का भुगतान कर दिया. इसकी स्वीकृति भी सरकार से नहीं ली गई. पैसे के बंदरबांट का सिलसिला आगे भी जारी रहा. निगम के अधिकारियों ने स्थायी दैनिक वेतन भोगी कर्मियों पर 1,02,88,475 रुपये का अवैध भुगतान कर दिया. सरकार ने समय-समय पर सभी नगर परिषद और निगमों को दैनिक वेतन पर कर्मियों से काम न लेने निर्देश दिया. लेकिन नगर निगम में 2009-2010 के दौरान दैनिक कर्मियों को 1,02,88,475 रुपये का भुगतान किया गया. इसकी भी स्वीकृति राज्य सरकार से नहीं ली गई थी.
हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन, नहीं बना स्टाफिंग पैटर्न
पुन: अंकेक्षण प्रतिवेदन संख्या 122/2009-10(वर्ष 2007-2008) के अनुसार इन कर्मियों में से श्री सहजानंद महाराज व 82 अन्य कर्मियों से उच्च न्यायालय में रिट (सीडब्ल्यूजेसी नंबर-1935/1996) दायर किया था. कोर्ट ने आदेश दिया था राज्य सरकार से 31 जनवरी 1998 तक कोई आदेश प्राप्त नहीं होने पर निगम स्टाफिंग पैटर्न के आधार पर उक्त तिथि की समाप्ति के बाद संबंधित व्यक्तियों को सेवा नियमित की जा सकती है. लेकिन निगम ने स्टाफिंग पैटर्न नहीं बनाया था. न ही इस पर कोई कार्रवाई कर सका था.
मार्गदर्शन मांगा, पालन नहीं किया
नगर निगम ने राज्य सरकार से फिर मार्गदर्शन मांगा. सरकार ने दैनिक वेतन भोगियों के संबंध में 18 जून 1993 व उसके बाद माननीय हाइ कोर्ट दवारा उमा देवी वाले मामले में दिनांक 10 जुलाई 2006 में पारित आदेश में निर्धारित पैरामीटर के अनुसार कार्रवाई का निर्देश दिया. लेकिन निगम ने इस मार्गदर्शन पर भी अमल नहीं किया. इसका कोई कारण ऑडिट टीम को नहीं बताया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें