मुजफ्फरपुर: त्रिस्तरीय चुनाव का बिगुल बज चुका हैं. सभी महत्वपूर्ण पदों पर कब्जे को लेकर कई दिग्गज मैदान में उतरने को तैयार है. जिनका क्षेत्र आरक्षण के कारण रिर्जव हो गया. वह दूसरे क्षेत्र में चुनाव को लेकर प्रचार अभियान में जुट गए है. 1978 के बाद 2001 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद […]
मुजफ्फरपुर: त्रिस्तरीय चुनाव का बिगुल बज चुका हैं. सभी महत्वपूर्ण पदों पर कब्जे को लेकर कई दिग्गज मैदान में उतरने को तैयार है. जिनका क्षेत्र आरक्षण के कारण रिर्जव हो गया. वह दूसरे क्षेत्र में चुनाव को लेकर प्रचार अभियान में जुट गए है. 1978 के बाद 2001 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद जिप के पहले अध्यक्ष पद पर वीणा देवी अपना कब्जा जमाई थी.
जिप का पद पिछड़ी जाति के महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद अपने समर्थक को जिप अध्यक्ष पद पर चुनाव के माध्यम से विजयी दिलाने में हमेशा पूर्व विधायक वीणा देवी व विधान पार्षद दिनेश सिंह को कामयाबी मिली. एक तरह से डायरेक्ट व इन डायरेक्ट के रूप से उनका कब्जा 2001 से ही चला रहा है. हालांकि इस बार जिप अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए कर दिया गया है.
इसे लेकर सीधे तौर पर इस सीट पर कब्जा के लिए वीणा देवी व दिनेश सिंह अंदर ही अंदर तैयारी में जुट गए है.
पारू प्रखंड के जिला परिषद संख्या 10 से उनकी पुत्रवधू स्वीटी सिंह के चुनाव मैदान में उतरने की बात बताई जा रही है. जबकि बगल के ही जिला परिषद संख्या 11 से वीणा देवी की पुत्री निशी शंकर चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं. वैसे तो नामांकन की प्रक्रिया की बाकी है, लेकिन क्षेत्र में भ्रमण कर सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार शुरू कर दी हैं. इधर चंदा देवी का चुनाव क्षेत्र मुशहरी के जिप संख्या 29 को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है, लेकिन वे किसी शर्त पर चुनाव जीत कर फिर से जिला परिषद अध्यक्ष पद पर काबिज होना की तैयारी में जुटी हुई है. कांटी प्रखंड में पड़ने वाले जिप संख्या 20 से वह चुनाव लड़ने के लिए क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दी है. यह सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए अति पिछड़ा महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है.
वर्तमान में जिला पार्षद विधायक अशोक चौधरी की पत्नी राधा देवी है. अब देखना है कि क्षेत्र बदलकर जिप सदस्य के रूप में चुनाव जीतने में कितनी सफलता पाती है. चंदा देवी का कहना है कि वे चुनाव जीतेंगी. और जिला परिषद अध्यक्ष पद की दावेदार है. इस बार वे स्वतंत्र रूप से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगी. जबकि इस पद पर फिर से डायरेक्ट अपना कब्जा कायम रखने को लेकर वीणा देवी की पुत्रवधू व पुत्री चुनाव मैदान में है. पिछली बार जिप संख्या 10 से दिनेश सिंह के पुत्र चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा. शायद इसी को देखते हुए पुत्र और पुत्र वधू दोनों को चुनाव मैदान में उतार चुकी है.
अध्यक्ष पद पर हो सीधा आमना-सामना
यदि चंदा देवी व वीणा देवी के पुत्रवधू स्वीटी सिंह और पुत्री निशी शंकर जिप सदस्य का चुनाव जीत जाती है. तो इन तीनों में से दो के बीच जिप अध्यक्ष पद के लिए कड़ा संघर्ष हो सकता है. वीणा देवी के पुत्री या पुत्र वधू में से एक उम्मीदवार हो सकती है. दूसरी तरफ चंदा देवी चुनाव के मैनेजमेंट हासिल कर चुके विधान पार्षद दिनेश सिंह जिप अध्यक्ष पद पर डायरेक्ट व इन डायरेक्ट रूप में कब्जा जमाए हुए है. इस बार वे चाहेंगे कि डायरेक्ट उनके परिवार के कोई सदस्य इस पद पर कायम हो. दूसरी ओर उनके आर्शीवाद से जिप अध्यक्ष का पद हासिल करनी वाली चंदा देवी इस बार स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. चंदा देवी के पति के बड़े भाई केदार गुप्ता इस बार मुखिया से विधायक बन चुके है.
वे भी इसी शर्त पर इस पद पर अपने परिवार को स्थापित करने के लिए जी-तोड़ प्रयास में जुटे हुए है. वैसे वीणा देवी और दिनेश सिंह के प्रबल राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले गायघाट विधायक महेश्वर प्रसाद यादव से भाजपा के कुढ़नी विधायक केदार प्रसाद का व्यक्तिगत घनिष्ठ संबंध है. जिस कारण बंदरा से अतिक्रमण के एक मामले में धरना पर बैठे महेश्वर यादव के साथ केदार गुप्ता भी बैठे थे. इतना ही नहीं जिला परिषद के डॉक बंगला पर बन रहे दुकान के आवंटन को लेकर महेश्वर प्रसाद यादव व केदार प्रसाद ने विरोध किया था. इस स्थिति में इस बार जिप अध्यक्ष के पद पर रोचक मुकाबला के आसार दिख रहे हैं.