मुजफ्फरपुर: एनएच-28 के किनारे बसे दिनकर मोहल्ला. यहां हर घर की दीवार पर गृह संख्या का बोर्ड टंगा मिलेगा. शाम के समय इधर से गुजरने पर स्ट्रीट लाइट की दुधिया रोशनी आपकाे रात्रि का अहसास नहीं होने देंगे. किसी सार्वजनिक जगह पर आपको गंदगी नहीं दिखाई देगी. यह किसी सरकारी पहल का नतीजा नहीं, बल्कि लोगों के आपसी ‘सहयोग’ का नतीजा है.
बड़े-बड़े शहरों, महानगरों में कॉलोनी स्तर पर सोसाइटी के बार में आपने सुना या टेलिविजन पर देखा होगा, लेकिन सदर थाना क्षेत्र स्थित मझौली खेतल पंचायत के दिनकर मोहल्ला में कुछ इसी तरह की व्यवस्था देखने को मिल रहा है. छह माह पूर्व स्थानीय लोगों ने यहां ‘दिनकर मोहल्ला विकास समिति’ का गठन किया था. शुरुआत में इसको लेकर कुछ लोगों में थोड़ी झिझक दिखी. लेकिन समय के साथ समिति के प्रति विश्वास भी बढ़ता गया.
माह में दो बार सार्वजनिक स्थल की सफाई
विकास समिति मोहल्ले की साफ-सफाई की व्यवस्था करती है. इसके लिए प्रत्येक पंद्रह दिनों पर मजदूर रख कर सार्वजनिक स्थलों की सफाई करवायी जाती है.
समिति के प्रत्येक सदस्यों को यह सुझाव भी दिया गया है कि वे यत्र-तत्र कूड़ा ना फेंके. लोग इसका पालन भी करते हैं. मोहल्ला के सार्वजनिक स्थल पर सामूहिक भोज का आयोजन कर विकास योजनाओं के बारे में लोगों से राय भी ली जाती है.
विकास समिति के सदस्य
अध्यक्ष- गौरीशंकर प्रसाद सिंह (रिटायर शिक्षक), उपाध्यक्ष- उपेंद्र चौधरी व प्रो राजीव कुमार, सचिव- ज्ञानेश्वर शर्मा (वार्ड सदस्य), कोषाध्यक्ष- देवेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यसमिति सदस्य- मनीष कुमार, पवन कुमार ठाकुर, अरुण कुमार, आरपी ठाकुर, जीतेंद्र कुमार, नवीन कुमार निर्मल.
आज सभी लोग विकास के लिए सरकार या जनप्रतिनिधि की ओर देखते रहते हैं, लेकिन यदि वे खुद तत्परता दिखाये तो छोटी-छोटी चीजें वे स्वयं कर सकते हैं. पूरे मोहल्ला में स्ट्रीट लाइट लगना इसी सोच का नतीजा है. यदि लोग आगे आयेंगे, तो जनप्रतिनिधियों को स्वत: विकास के लिए आगे आना होगा. हर मोहल्ले में इस तरह की पहल हो, तो विकास की गाड़ी अपने आप पटरी पर दौड़ने लगेगी.
मनीष कुमार, कार्यसमिति सदस्य, दिनकर मोहल्ला विकास समिति
प्रतिमाह सौ रुपये जमा करते हैं सदस्य
दिनकर मोहल्ला में कुल 89 घर (होल्डिंग) हैं. इसमें से 56 होल्डिंग के मालिक इस विकास समिति के हिस्सा हैं. प्रत्येक सदस्य प्रतिमाह एक सौ रुपये समिति को देते हैं. ग्यारह सदस्यीय विकास समिति आपस में बैठ कर यह तय करती है कि इन पैसों को किस मद में खर्च किया जाये. समिति के गठन के बाद जो राशि जमा हुई, उससे सबसे पहले बारह स्ट्रीट लाइट खरीदे गये, जिसे पूरे मोहल्ले में लगाया गया. इस पर करीब 26 हजार रुपये खर्च हुए.
एक दूसरे के सुख-दुख में रहते हैं साथ
ऐसा नहीं है कि मोहल्ला के लोगों की एकता सिर्फ विकास योजनाओं तक ही सीमित है, बल्कि संंकट के समय में भी वे साथ होते हैं. विधानसभा चुनाव खत्म होने के चंद रोज बाद ही मोहल्ला के एक घर में किरायेदार के रूप में रह रहे कुछ लोगों ने शराब पीकर फायरिंग की. मोहल्ला के सभी लोग एकत्रित होकर सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया. तत्काल इसकी सूचना सदर थाना पुलिस को दी गयी, जिसने मौके पर पहुंच आरोपित को हिरासत में अपने साथ ले गयी. हिरासत से छूटने के बाद उसे मोहल्ला छोड़ कर जाने को मजबूर भी होना पड़ा.