इस बीच विवि प्रशासन ने बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों का कहना था कि जब तक वेतन नहीं मिलेगा, वे अनशन पर रहेंगे. छठवें दिन शनिवार की रात करीब 10 बजे पहुंचे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने तीनों अनशनकारियों को वहां से उठाकर जिला अस्पताल पहुंचा दिया. उनके साथ मौजूद लोगों को बाहर निकालकर मुख्य द्वार में ताला बंद कर दिया गया.
हालांकि वहां पहले से ही प्रशासन मुस्तैद था. मुख्य द्वार से ही सभी को वापस लौटा दिया गया. इसको लेकर कर्मचारियों में काफी नाराजगी भी है. उनका कहना था कि संख्या कम होने के कारण विवि व जिला प्रशासन उनकी बात सुनने की बजाय दबाव देकर अपनी बात मनवा रहा है. प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी भी उनकी मांग पूरी कराने की दिशा में प्रयास करते तो कोई नतीजा जरूर निकलता. अनशनकारी वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया कि प्रशासन ने जबरदस्ती अनशन खत्म करा दिया है. रात में अनशन स्थल से उठाकर हम तीनों को जिला अस्पताल पहुंचा दिया, जबकि सहयोगियों को डरा-धमका कर भगा दिया गया. हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते थे. लेकिन अब आंदोलन की रणनीति बनानी होगी. गणतंत्र दिवस के बाद सभी कर्मचारियों की बैठक कर आगे की योजना तैयार की जाएगी, जिससे हमें न्याय मिल सके.