टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ बंद रहीं कपड़े की दुकानेंफोटो : माधवसमाहरणालय में प्रदर्शन, सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित- कपड़ा, बालू व मिठाई पर टैक्स के खिलाफ खुदरा व थोक वस्त्र व्यवसायियों ने निकाला मौन जुलूस- व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपासंवाददाता, मुजफ्फरपुर कपड़ा, बालू व मिठाई पर सरकार द्वारा लगाये गये टैक्स के विरोध मंगलवार को कपड़ा व्यवसायियों ने अपनी-अपनी दुकानें बंद रखीं. जिले में करीब-करीब सभी कपड़ों की दुकान बंद रही. इस बंदी से उत्तर बिहार में करीब सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ. सुबह में सभी कपड़ा व्यवसायी जवाहरलाल रोड स्थित नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के कैंपस में इकट्ठा हुए. इसके बाद वहां से शांतिपूर्ण जुलूस निकाला जो सूतापट्टी कंपनीबाग होते हुए समाहरणालय पहुंचा. वहां व्यवसायियों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जताया. इसके बाद व्यवसायियों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने डीएम से मिलकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. उपाध्यक्ष राम अवतार नाथानी ने बताया कि डीएम ने अश्वस्त किया है कि उनकी मांगाें को मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया जायेगा. कहा, चैंबर के अध्यक्ष मोतीलाल छापड़िया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल पटना में वाणिज्य मंत्री से मिलने गये हैं. उनके पटना से लौटने के बाद आगे की रणनीति तय की जायेगी. डीएम को ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में उपाध्यक्ष राम अवतार नाथानी, महामंत्री अनुप ककरानिया, जयप्रकाश अग्रवाल, अरुण कुमार चमड़िया, खुदरा वस्त्र व्यवसायी संघ सचिव अजय चाचान शामिल थे. प्रदर्शन में अवतार सिंह, जय प्रकाश गुप्ता, सज्जन शर्मा, समसुल हक, मो असलम, मो अशरफ, अनिल कपूर, राजीव केजड़ीवाल, जयप्रकाश अग्रवाल, उमेश हिसारिया, राजीव जायसवाल सहित सैकड़ों कपड़ा व्यवसायी शामिल थे. मांगपत्र में व्यवसायियों की राय- देश के किसी राज्य में साड़ी व कपड़ों पर कोई टैक्स नहीं है. पूर्व में उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में सरकार ने कर लगाने की पहल की थी, लेकिन इससे होने वाली परेशानी व प्रतिकूल असर को ध्यान में रखकर सरकार ने इसे वापस ले लिया था. – करारोपण के मूलभूत सिद्धांतों में एक सिद्धांत यह भी है कि जिन पर कर लगाया जाये उन्हें इस काण बहुत कठिनाई न हो और इसका प्रतिकूल असर न पड़े.- बिहार मेें इस कर के लगने से कपड़े का व्यापार पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में चला जायेगा. दूसरी ओर प्रशासन में भ्रष्टाचार बढ़ेगा व असामाजिक तत्वों को बढ़ावा मिलेगा. वहीं दूसरी ओर इससे रोजगार की समस्या बढ़ेगा, संबंधित वस्तुओं के व्यापार पर असर पड़ेगा जिससे सरकार को राजस्व की हानि होगी.- जब जीएसटी पूरे देश में लागू होगा और देश के सारे राज्यों में कपड़े पर कर लगाये जायेंगे तो हम भी अपने राज्य के हित में पीछे नहीं हटेंगे. कपड़ों पर कर लगाने से होगी परेशानी – महंगाई : अभी तक कपड़े पर कर नहीं था. इस कारण यह आसानी से जनता को सस्ते दाम में उपलब्ध था. पारदर्शिता के साथ व्यवसाय हो रहा था. लेकिन टैक्स के बाद कालाबाजारी, जमाखोरी बढ़ने के साथ कपड़े की लागत बढ़ेगी.- भ्रष्टाचार : दूसरे व्यवसाय के मुकाबले अभी सबसे अधिक कपड़े की दुकान है, जिससे एक बड़ी आबादी जुड़कर अपना जीवन-यापन कर रही है. कर लगने से जहां कम टैक्स सरकार को मिलेगा, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार बढ़ेगा. मामूली कपड़े के व्यापारी को अधिक फीस लगेगी जिसका बोझ गरीब जनता व साधारण व्यापारी पर पड़ेगा.- बेरोजगारी : इस व्यवसाय में साधारण अनपढ़ लोग लगे हैं, जिसमें बहुत पूंजी की आवश्यकता नहीं है. यह साख का व्यवसाय है इसलिए इस व्यवसाय को लोग आसानी से कर सकते है. कर लगने से साधारण लोगों के लिए यह व्यवसाय करना असंभव हो जायेगा, लाखों लोग इसमें बेरोजगार हो जायेंगे.- बिहार में केवल का कपड़े का व्यवसाय होता है न कि उत्पादन. जो व्यापारी गांव-गांव घूमकर कपड़ा बेचते हैं, व खत्म हो जायेंगे. यह असंगठित क्षेत्र का व्यवसाय है, इससे साधारण व्यवसायी से कर उगाही मुश्किल है, इसमें होने वाला खर्च उगाही से अधिक है. – कपड़ों की अधिक खरीदारी छोटे शहर व गांव में होती है व इसके खरीदार साधारण लोग होते है. बड़े शहरों में संपन्न लोग रेडीमेड कपड़े खरीदते हैं जिस पर पूर्व से वैट लागू है. ————————————बॉक्समुख्य सचिव व वाणिज्य मंत्री को सौंपा ज्ञापननॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मोतीलाल छापड़िया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को टैक्स के विरोध में मुख्य सचिव व राज्य के वाणिज्य मंत्री से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा. इसमें बताया कि यह कर कहीं से भी जनहित में नहीं है, इसे वापस लिया जाये. वहीं इसको लेकर पूरे राज्य में व्यवसायी एकजुट होकर अपना विरोध जता रहे हैं. मंगलवार को उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी आदि जिलों में पूर्ण रूप से बंदी सफल रही है. अगले चरण में भागलपुर, पटना में व्यवसायी इसको लेकर बंदी करने जा रहे हैं. आगे की रणनीति बहुत जल्द सूबे के सभी व्यवसायी मिलकर तय करेंगे. इस प्रतिनिधि मंडल में चैंबर के श्रीराम बंका, अरुण कुमार शाह, अवतार सिंह आदि व्यवसायी शामिल थे.
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