मुजफ्फरपुर : मीनापुर के टेंगरारी धपहर गांव में आत्मसमर्पण किये नक्सलियों में सरकार व प्रशासन के प्रति आक्रोश है. आत्मसमर्पण के छह वर्षों बाद 17 में से 14 नक्सलियों को मुख्यमंत्री ने आजीविका के लिए 25-25 हजार का चेक दिया था. लेकिन अब उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक इन्हें नोटिस भेजकर सूद समेत राशि की वापसी का दबाव दे रही है. नियत समय पर राशि की वापसी नहीं होने पर इन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी मिली है. बैंक की नोटिस मिलने के बाद परेशान आत्मसमर्पण किये नक्सली जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री के दरबार में गुहार लगा रहे हैं. इस मामले को लेकर ये आक्रोशित भी हैं.
डीएम से मिले पीड़ित
मुख्यमंत्री व लालू प्रसाद यादव के निर्देश के बाद पीर मोहम्मद के नेतृत्व में आठ लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को जिलाधिकारी
धर्मेंद्र सिंह से मिलकर अपनी
समस्या सुनाई. जिलाधिकारी ने इन्हें जनता दरबार में आवेदन देने का
निर्देश दिया है. पीर मोहम्मद ने कहा कि अब स्थिति यही है कि मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी के जनता दरबार तक काम-धाम छोड़ समस्या के निबटारे के लिए हाजिरी लगानी होगी. अगर उन्हें मालूम होता कि उन्हें कर्ज दिया जा रहा है तो वे कभी भी चेक नहीं लेते. सरकार ने पुनर्वास की राशि के नाम पर उन्हें 25 हजार का चेक देकर परेशानी में डाल दिया है. उनके साथ धोखा हुआ है.
2003 में 17 नक्सलियों ने किया था आत्मसमर्पण
मीनापुर के टेंगरारी गांव स्थित धपहर टोला के 17 नक्सलियों ने हथियार के साथ 3 मार्च 2003 को तत्कालीन जिलाधिकारी अमृतलाल मीणा व एसपी रवींद्र सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. धपहर टोला के कमला माई मंदिर प्रांगण में नक्सली पीर मोहम्मद के साथ महेश सहनी, ललन सहनी, लखेंद्र सहनी, योगेंद्र सहनी, मेवालाल सहनी, वंशलाल सहनी, रामप्रवेश सहनी, बैरीराम सहनी, जनक सहनी, सुरेंद्र सहनी, प्रमोद सहनी, कैलाश सहनी, राधा सहनी, शंभु सहनी, सोगारथ सहनी, विधि सहनी ने एक राइफल, दो दोनाली बंदुक, एक देशी पिस्तौल व दस गोली के साथ आत्मसमर्पण किया था. आत्मसमर्पण के दौरान इन नक्सलियों को पुनर्वास की राशि देने की बात कहीं गयी थी. जेल से छूटने के बाद इन्हें इंदिरा आवास व व्यवसाय के लिए राशि देने का आश्वासन दिया गया था.
छह वर्ष बाद मात्र 14 को मुख्यमंत्री ने दिया 25 हजार का चेक
आत्मसमर्पण के बाद इन नक्सलियों को जेल भेज दिया गया. डेढ़ माह के बाद ये जेल से छुट गये. जेल से छूटने के बाद पुनर्वास की राशि के लिए इन नक्सलियों ने जिलाधिकारी व एसपी कार्यालय के कई चक्कर लगाये. थक-हार कर ये पुनर्वास की आस छोड़ अपने काम में लग गये. छह वर्षों बाद 27 मार्च 2009 को खुदीराम बोस मैदान में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने 17 में से 14 नक्सलियों को 25-25 हजार का चेक दिया था. इन नक्सलियों को यह नहीं मालूम था कि यह राशि इन्हें कर्ज के रूप में मिल रहा है. आत्मसमर्पण किये तीन नक्सलियों शंभु सहनी, वंशलाल सहनी व मेवालाल सहनी को चेक नहीं दिया गया था.
सूद समेत राशि की वापसी के लिए मिला नोटिस
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक ने गत 29 दिसंबर 2015 को इन नक्सलियों को एक नोटिस देकर चेक द्वारा दी गयी 25 हजार की राशि को कृषि ऋण बताते हुए सूद समेत छह जनवरी तक जमा करने का निर्देश दिया. ग्रामीण बैंक की नोटिस के अनुसार, अब इन नक्सलियों को 25 हजार के बदले सूद समेत 30 से 50 हजार रुपये की अदायगी करनी होगी. नोटिस के मिलते ही इनलोगों के बीच हड़कंप मचा है. पीर मोहम्मद ने बताया कि सरकार आत्मसमर्पण किये नक्सलियों को पुनर्वास योजना के लाभ का झांसा देकर उनके माथे पर कर्ज लाद दिया है. इतनी बड़ी रकम को चुकाने में वे सभी असमर्थ हैं. बैंक ने राशि की अदायगी नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है, जो सरासर अन्याय है.