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बागों में पल रहे लीची बरबाद करने वाले कीड़े और फंगस

बागाें में पल रहे लीची बरबाद करने वाले कीड़े और फंगस जमीन और पौधों की टहनियों में छिपे हैं फंगस और फ्रूट बोरर अभी बागों में नहीं की जा सकती कोई भी कृषि क्रियाएं मटर के आकार का दाना होने के बाद करें सिंचाई और दवा प्रयोग रोग के निदान को लेकर दिसंबर में अधिकारियों […]

बागाें में पल रहे लीची बरबाद करने वाले कीड़े और फंगस जमीन और पौधों की टहनियों में छिपे हैं फंगस और फ्रूट बोरर अभी बागों में नहीं की जा सकती कोई भी कृषि क्रियाएं मटर के आकार का दाना होने के बाद करें सिंचाई और दवा प्रयोग रोग के निदान को लेकर दिसंबर में अधिकारियों को दी गई थी जानकारीदवा प्रयोग के 24 घंटे के भीतर हो बारिश तो दोबारा करें दवा का प्रयोग वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर लीची के बागों में फलों को बरबाद करने वाले कीड़े और फंगस पल रहे हैं. ठंड में यह सुसुप्तावस्था में अपनी जीवन रक्षा में लगे हैं. जैसे थोड़ी गरमी आयेगी, उमस बढ़ेगा. इन कीड़ों और फंगस का प्रजनन तेज हो जायेगा. 2015 की तरह आगे भी लीची फलों पर कहर बरपा सकते हैं. किसानों को अभी से ही लीची फसलों की निगरानी और सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों से जानकारी लेनी होगी. लीची में फंगस और फ्रूट बोरर रोग निदान के लिए काम कर रहे राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि ठंड में यह मिट्टी, पौधों की जड़ों, टहनियों में छिपे रहते हैं. इसके साथ ही धनियां के पौधों में भी छिपे रहते हैं. मार्च के प्रथम सप्ताह में अपना प्रजनन शुरू करते हैं. अगर आसमान में बादल और उमस रहे तो इसका प्रजनन और तेज हो सकता है. हालांकि किसान और वैज्ञानिक जानने के बाद भी कुछ नहीं कर सकते हैं. जैसे ही लीची बागों में कोई भी क्रिया शुरू करेंगे. बागों को व्यापक क्षति होगी. डॉ कुमार बताते हैं कि पौधों में मटर के दाने के आकार के फल जब तक नहीं आ जाते हैं, कोई भी दवा का छिड़काव नहीं कर सकते हैं. 12 अप्रैल तक फल सेंटिंग होंगे. इसके बाद ही कुछ किया जा सकता है. दवा का छिड़काव 10 दिनों के अंतराल पर करना होगा. यह भी ध्यान रखें कि दवा छिड़कने के 24 घंटे के भीतर बारिश हो जाती है तो पुन: छिड़काव करना होगा. किसान ख्याल रखें कि बारिश में दवा धूल जाती है.राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विशालनाथ बताते हैं कि मटर के आकार के दाने होने के बाद बागों में सिंचाई शुरू करना बेहतर होता है. इसके बाद दवा का छिड़काव करना बेहतर होगा. किसान इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का छिड़काव कर सकते हैं. दवा छिड़काव से पूर्व किसान यहां के वैज्ञानिक से संपर्क करें तो बेहतर होगा. निदेशक डॉ विशालनाथ बताते हैं कि लीची फ्रूट बोरर और फंगस से होने वाली बरबादी को रोकने के लिए कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है. दिसंबर माह में प्रमुख लीची उत्पादक किसानों और कई जिलों के उ‍द्यान निदेशकों को इसकी जानकारी दी गई है. उम्मीद है कि किसानों को इसका लाभ मिलेगा.

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