मुजफ्फरपुर : डिप्टी मेयर की कुरसी को लेकर छिड़ी जंग भले ही पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी की पहल पर शांत हो गयी, लेकिन ये सवाल अभी बना हुआ है कि आखिर बंद लिफाफों में क्या है? जिसकी वजह से पूरी मुहिम पर ब्रेक लगाना पड़ा. इसे शहर से विकास से जोड़ बीच का रास्ता निकालना पड़ा. इसके बारे में निगम से जुड़े लोग भी जानना चाहते हैं. यहां लिफाफों को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है.
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आखिर बंद लिफाफों में क्या है?
मुजफ्फरपुर : डिप्टी मेयर की कुरसी को लेकर छिड़ी जंग भले ही पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी की पहल पर शांत हो गयी, लेकिन ये सवाल अभी बना हुआ है कि आखिर बंद लिफाफों में क्या है? जिसकी वजह से पूरी मुहिम पर ब्रेक लगाना पड़ा. इसे शहर से विकास से जोड़ बीच का रास्ता निकालना […]
लिफाफा बंद था और बंद है, लेकिन इसके प्रताप से डिप्टी मेयर माजिद हुसैन व पार्षदों के बीच खायी पट गयी है. कुछ लोग ये सवाल कर रहे हैं कि आखिर लिफाफों में ऐसा क्या है, जिससे 38 पार्षदों के प्रचंड बहुमत के बाद भी अविश्वास प्रस्ताव संबंधी लिफाफा बंद ही रखना पड़ा. इस मामले में डिप्टी मेयर माजिद हुसैन के बाजी मारने की बात हो रही है. उन्हीं के बंद लिफाफे को तुरप का पत्ता भी बताया जा रहा है.
मेयर व डिप्टी मेयर के करीबी रहनेवाले लोगों को कहना है, अगर लिफाफा खुलता, तब फिर नगर निगम को कानूनी दांव-पेच में फंस जाता. साथ ही बंद लिफाफा कई ऐसे राज को खोल जाते, जिन्हें शहरवासी नहीं जानते हैं. हालांकि, खुद को निगम का किंगमेकर कहनेवाले पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी के मुताबिक, वे शहर का विकास चाहते थे.
उन्हें लगा कि अगर बंद लिफाफा खुलता है, तब निगम का विकास बाधित हो जायेगा. इसको देखते हुए ही तत्काल लिफाफा को खोले बगैर समझौता करना पड़ा है. 31 मार्च तक मामला ठीक-ठाक नहीं रहने के बाद दोबारा इस पर विचार किया जायेगा.
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