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एनआरसी लीची में शुरू होगी प्लांटनेशन में डप्लिोमा कोर्स

एनआरसी लीची में शुरू होगी प्लांटनेशन में डिप्लोमा कोर्स निदेशक ने वैज्ञानिक-पत्रकार वार्ता में दी कोर्स की जानकारी ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को लगेगा पाठ्यक्रम का आधा शुल्क केंद्र से शुरू होगा पाक्षिक और वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन कला विषय से इंटरमीडिएट और स्नातक पास भी ले सकेंगे नामांकन वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान […]

एनआरसी लीची में शुरू होगी प्लांटनेशन में डिप्लोमा कोर्स निदेशक ने वैज्ञानिक-पत्रकार वार्ता में दी कोर्स की जानकारी ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को लगेगा पाठ्यक्रम का आधा शुल्क केंद्र से शुरू होगा पाक्षिक और वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन कला विषय से इंटरमीडिएट और स्नातक पास भी ले सकेंगे नामांकन वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में इग्नू से दो पाठ्यक्रमों की मान्यता मिली है. इनमें जैविक खेती और प्लांटेशन की पढ़ाई होगी. इन कोर्सों में ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को सहूलियत दी गई है. निदेशक डॉ विशालनाथ ने केंद्र में सोमवार को वैज्ञानिक-पत्रकार वार्ता के दौरान इस कोर्स की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा, जैविक खेती में सर्टिफिकेट कोर्स व डिप्लोमा ऑन प्लांटनेशन मैनेजमेंट की पढ़ाई शुरू हो रही है. सर्टिफिकेट कोर्स छह माह का होगा. वहीं डिप्लोमा ऑन प्लांटनेशन मैनेजमेंट कोर्स एक वर्ष का होगा. दोनों पाठ्यक्रमों में ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को दो हजार रुपये फीस लगेंगे. वहीं शहरी क्षेत्र के छात्रों को चार हजार रुपये लगेंगे. यह रोजगारोन्मुख कोर्स है. सर्टिफिकेट कोर्स में किसी भी संकाय में इंटरमीडिएट और डिप्लोमा ऑन प्लांटनेशन मैनेजमेंट कोर्स में नामांकन के लिए किसी भी विषय में स्नातक शिक्षा होनी चाहिए. 14 वैज्ञानिक दोनों कोर्स को पढ़ायेंगे. हालांकि क्लास करने की बाध्यता किसी को नहीं है. उन्होंने कहा, किसानों के लिए केंद्र से हिंदी व अंगरेजी भाषा में लीची समाचार नाम से पत्रिका का प्रकाशन होगा. जनवरी में पहला अंक आने की उम्मीद है. इसमें केंद्र के वैज्ञानिक से लेकर सफल लीची उत्पादक किसानों का आलेख प्रकाशित होगा. इसका प्रकाशन पाक्षिक करने पर विमर्श जारी है. इसके साथ ही वार्षिक पत्रिका लीची प्रगति नाम से प्रकाशित होगी. सभी पत्र व पत्रिकाएं मुफ्त में केंद्र में किसानों के लिए उपलब्ध होगा. इसके लिए यहां पर वैज्ञानिकों के साथ विमर्श किया जा चुका है. इसमें लीची की समस्त कृषि क्रियाओं की जानकारी दी जायेगी. इस मौके पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार, डॉ एसडी पांडेय, डॉ अमरेंद्र कुमार, डॉ कुलदीप कुमार आदि मौजूद थे.

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