आफताब के परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़प्रतिनिधि, कुढ़नीकांटी स्थित गैस एजेंसी के मुंशी आफताब आलम की हत्या से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. सुमेरा अफजलपुर स्थित आफताब के घर पर जैसे मातम पसर गया है. पिता अबुल हसन व मा शमा खातून बेटे की मौत से टूट सी गयी हैं. इधर पत्नी निकहत परवीन तो रह-रहकर अचेत हो जा रही थी. उसे संभालने वाले की आंखें भी नम हो जाती थीं. होश आने पर वह फिर से क्रंदन करने लगती. निकहत की तबीयत बिगड़ने पर नींद की सुई देनी पड़ी. उधर पिता की मौत से बेखबर अइयान (आठ), दानिश (पांच) व एक साल के आबिद लोगों के चेहरे देख रहे थे. उन्हें पता नहीं था कि पिता का साया उठ चुका है. दानिश बार-बार दादा से पूछता कि दरवाजे पर इतनी भीड़ क्यों है. मां-दादी क्यों रो रही है. मासूम बच्चों को देखने वाले भी विह्वल हो जाते थे. आफताब की कमाई से ही घर का चूल्हा-चौका चलता था. हालांकि उसके पिता भी एक निजी स्कूल में माली का काम करते हैं. देर शाम शव को कब्रगाह में दफना दिया गया.
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आफताब के परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़
आफताब के परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़प्रतिनिधि, कुढ़नीकांटी स्थित गैस एजेंसी के मुंशी आफताब आलम की हत्या से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. सुमेरा अफजलपुर स्थित आफताब के घर पर जैसे मातम पसर गया है. पिता अबुल हसन व मा शमा खातून बेटे की मौत से टूट सी गयी हैं. इधर […]
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