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गेहूं में खर-पतवार नियंत्रण के लिए करें दवा का छिड़काव

गेहूं में खर-पतवार नियंत्रण के लिए करें दवा का छिड़काव सल्फो सल्फयूरॉन व मेट सल्फयूरॉन से करें नियंत्रणमटर के अच्छे फलन के लिए करें यूरिया का छिड़काव अधिक गहराई में नहीं करें प्याज की रोपनीखुले स्थानों पर रात में नहीं रखें पशुओं को वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर गेहूं के पौधों के बेहतर विकास के लिए खेतों […]

गेहूं में खर-पतवार नियंत्रण के लिए करें दवा का छिड़काव सल्फो सल्फयूरॉन व मेट सल्फयूरॉन से करें नियंत्रणमटर के अच्छे फलन के लिए करें यूरिया का छिड़काव अधिक गहराई में नहीं करें प्याज की रोपनीखुले स्थानों पर रात में नहीं रखें पशुओं को वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर गेहूं के पौधों के बेहतर विकास के लिए खेतों का साफ होना बहुत जरूरी है. यानी किसानों को गेहूं के फसल को खरपतवार से मुक्त रखना होगा. तभी पौधों को बेहतर विकास होगा. और किसानों को गेहूं का उत्पादन बेहतर मिलेगा. किसानों को गेहूं की फसल में खर–पतवार नियंत्रण के लिए दो प्रकार की दवाओं का छिड़काव करना होगा. राजेंद्र कृषि विवि पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम परामर्शी सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ ए सत्तार ने बताया कि गेहूं बोआई के 30 से 35 दिनों बाद घास की समस्या होने लगती है. गेहूं में उगने वाले सभी प्रकार के खरपतवार के नियंत्रण के लिए पहली सिंचाई के बाद सल्फो सल्फयूरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर व मेट सल्फयूरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें. छिड़काव के वक्त खेत में पर्याप्त नमी हो. 40 से 45 दिन पहले बोआई की गई गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई कर 30 किलो ग्राम नेत्रजन का प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन करें. प्याज लगाने का बेहतर वक्त है. 50–55 दिनों का हो गया हो, तैयार क्यारी में रोपनी करें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी, पौध से पौध की दूरी 10 सेमी हो. पौध की रोपाई अधिक गहराई में नहीं करें. अन्यथा प्याज का विकास बढ़िया नहीं होगा. मक्का की फसल जो 50 से 55 दिनों की हो गयी हो, उसमें सिंचाई कर 40 किलो नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ा दे. मटर की फसल में अच्छे फलन के लिए 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें. सब्जियों में निकाई–गुड़ाई के बाद जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. आलू में आवश्यकतानुसार पटवन करें. चने, मटर और टमाटर की फसल में फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए फिरोमोन ट्रैप / 3–4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगायें. यदि कीट अधिक हो तो बी टी नियमन का छिड़काव करें. मशरूम की वृद्वि पर गिरते तापमान का कुप्रभाव पड़ सकता, उत्पादन गृह में तापक्रम 25 से 28 डिग्री सेल्सियस बनाये रखें. दुधारु पशुओं के रख–रखाव व खान-पान पर विशेष ध्यान दें. दुधारु पशुओं के दुध में निम्न तापमान के कारण आयी कमी को दूर करने के लिए नियमित रूप से दाने के साथ कैल्सियम भी खिलायें. पशुओं को रात में खुले स्थानों पर नहीं रखें. बिछावन के लिए सूखी घास या राख का उपयोग करें.

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