मोतीपुर (मुजफ्फरपुर): निजी स्कूल के एक छात्र को इसलिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, क्योंकि उसने दूसरे छात्र का थूक चाटने से इनकार कर दिया. मामला मोतीपुर के निजी स्कूल रेहबोथ मिशन का है. यहां के प्रधानाचार्य रामदास ने सातवीं के छात्र घनश्याम को उसी कक्षा में पढ़नेवाले आदित्य कुमार का थूक चाटने की सजा सुनायी थी. दोनों छात्रों के बीच पच्चीस दिन पहले विवाद हुआ था. इसके बाद आदित्य कुमार ने अपने साथी ब्रजभूषण के साथ मिलकर घनश्याम को पीटने की योजना बनायी थी.
छुट्टी के बाद जब स्कूल से घनश्याम घर के लिए निकला तो आदित्य ने ब्रजभूषण के साथ मिलकर उससे मारपीट करनी चाही, जब घनश्याम भागा तो आदित्य भी उसे दौड़ाने लगा. घनश्याम ने उसी समय इसकी शिकायत स्कूल के प्रधानाचार्य रामदास से की. इसके बाद रामदास ने मामले की जांच की और घनश्याम को ही दोषी ठहराया. सजा के तौर पर आदित्य का थूक चाटने को कहा. इससे घनश्याम ने इनकार कर दिया तो प्रधानाचार्य ने उसके स्कूल आने पर रोक लगा दी.
घनश्याम का कहना है, जब उसे स्कूल आने से रोक दिया गया, तब उसने पूरी घटना की जानकारी अपने पिता श्याम कुमार साह को दी. जब घनश्याम के पिता प्रधानाचार्य से मिले, तब भी उन्होंने कहा, हमने सजा के तौर पर उसे थूक चाटने को कहा है, अगर वह ऐसा नहीं करता है तो हम उसे स्कूल में नहीं रखेंगे. इस बीच तीन दिसंबर (मंगलवार) को घनश्याम की परीक्षा शुरू होनी थी. इसी को लेकर घनश्याम अपने पिता के साथ स्कूल पहुंचा था, लेकिन प्रधानाचार्य ने कहा, जब तक वह थूक नहीं चाटेगा, तब तक उसे परीक्षा नहीं देने दी जायेगी. इसके बाद घनश्याम के पिता ने इस मामले को लेकर मोतीपुर के अंचलाधिकारी सह नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी अंगद सिंह को पूरी घटना के बारे में बताया और इससे संबंधित आवेदन भी उन्हें दिया. इसमें उन्होंने अपने बेटे घनश्याम को परीक्षा देने की गुहार लगायी थी. इस पर सीओ अंगद सिंह ने स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की, तब प्रधानाचार्य ने उन्हें आश्वासन दिया, हम छात्र को परीक्षा में शामिल होने देंगे. इसके बाद जब घनश्याम स्कूल पहुंचा तो प्रधानाचार्य ने पुराना रवैया अपनाते हुये, उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया.
इसके बाद घनश्याम के पिता ने इस मामले के संबंधित आवेदन जिलाधिकारी अनुपम कुमार को भी भेजा है. उनका कहना है, परीक्षा नहीं बैठने देने के कारण घनश्याम का साल बरबाद हो रहा है. उसकी तबियत भी खराब हो गयी है.
वहीं, इस मामले में जब प्रधानाचार्य से बात की गयी तो उन्होंने कहा, हमने घनश्याम को थूक चाटने का निर्देश नहीं दिया था. यह तीनों छात्रों के अभिभावकों का फैसला था. इन लोगों ने ही यह निर्णय किया था. हमने तो उस पर ऐसा करने का दबाव नहीं बनाया, बल्कि परीक्षा में घनश्याम बैठे, इसके लिए उसके घर संदेश भेजवाया था. इसके बाद भी वह परीक्षा में नहीं बैठा.