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आसानी से मिल जाये, लोग उसका मूल्य नहीं समझते हैं

मुजफ्फरपुर: वर्तमान समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है. आज इसका मकसद सिर्फ डिग्री व नौकरी हासिल करना रह गया है. इसके लिए छात्र कॉलेज के बजाये कोचिंग सेंटर जाना पसंद करते हैं. इसका सबसे विकृत रूप छात्रों का पलायन है. यह शर्म की बात है. जिस समय पटना विवि खुला था, उस समय […]

मुजफ्फरपुर: वर्तमान समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है. आज इसका मकसद सिर्फ डिग्री व नौकरी हासिल करना रह गया है. इसके लिए छात्र कॉलेज के बजाये कोचिंग सेंटर जाना पसंद करते हैं. इसका सबसे विकृत रूप छात्रों का पलायन है. यह शर्म की बात है. जिस समय पटना विवि खुला था, उस समय दिल्ली विवि की कोई हैसियत नहीं थी. लेकिन आज बच्चे दिल्ली विवि में पढ़ना चाहते हैं.

इसका कारण या तो भ्रम है, या फिर शिक्षा के स्तर में गिरावट! ये बातें जाने-माने सामाजिक चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कहीं. वे गुरुवार को एलएस कॉलेज आर्ट्स ब्लॉक में शोध ग्रंथ ‘लंगट सिंह कॉलेज : इंसेप्शन, कॉन्सोलिडेशन एंड एक्सपेंशन’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे.


श्री सिन्हा ने कहा, एलएस कॉलेज की स्थापना एक अद्भुत पहल का नतीजा है. इसकी स्थापना से जुड़े लोग किसी-न-किसी परंपरा से जुड़े रहे हैं. लेकिन उनका एक ही मकसद था, लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाये. यह उतना आसान नहीं था. उस समय अंग्रेजी शासनकाल था. कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय था. ऐसे में वहां के शिक्षण संस्थानों में बेहतर सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में तब यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी. श्री सिन्हा ने कहा कि जो चीज आसानी से मिल जाती है, उसका कोई मूल्य नहीं होता. ऐसे में जब वर्तमान शिक्षक व छात्र इस शोध ग्रंथ को पढ़ेंगे, तो निश्चित तौर पर इसकी स्थापना से विकास यात्रा तक के संघर्ष गाथा पढ़ कर उन्हें शिक्षण संस्थानों का मूल्य पता चलेगा.

स्वागत इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ गजेंद्र कुमार व मंच संचालन डॉ प्रमोद कुमार ने किया. मौके पर डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव, डॉ गजेंद्र कुमार, उषा सिन्हा, प्रगति सिन्हा, विजय कुमार चौधरी मौजूद थे.
इतिहास समेटने का सपना पूरा हुआ : प्राचार्य डॉ अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि मेरे सेवाकाल का सबसे बड़ा सपना था कि कुछ ऐसा हो, जिससे कॉलेज से जुड़ी यादों को एक जगह समेट कर रखा जा सके. इस शोध ग्रंथ डाॅ अंशुमन की परिकल्पना व उनकी टीम के मेहनत का नतीजा है. इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं. निश्चित तौर पर यह कॉलेज के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित होगी.
शोध ग्रंथ एक परिचय
‘लंगट सिंह कॉलेज : इंसेप्शन, कॉन्सोलिडेशन एंड एक्सपेंशन’ मूल रूप से एलएस कॉलेज के 1899 से 1959 तक की विकास यात्रा पर आधारित शोध ग्रंथ है. इसके संपादक कॉलेज के इतिहास के प्रो (डॉ) अशोक अंशुमन व विजय कुमार चौधरी हैं. सहायक संपादक शोधार्थी संजीत कुमार हैं. इस शोध ग्रंथ की रचना में कई अन्य शोधार्थियों का अहम योगदान रहा. इनमें रत्नेश, नीरज, अमृता व विक्रम के नाम अहम हैं. इस शोध ग्रंथ के लिए टीम ने कॉलेज लाइब्रेरी व मैगजिन के साथ-साथ कोलकाता विवि, नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता, पश्चिम बंगाल अभिलेखागार, कोलकाता विवि वेबसाइट, बिहार विधानसभा व सिन्हा लाइब्रेरी पटना में रखे दस्तावेजों को खंगाला है. इस शोध ग्रंथ में कॉलेज की स्थापना, कोर्स शुरू करने की मंजूरी सहित कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को समाहित किया गया है. संपादक डॉ अशोक अंशुमन की मानें तो जल्द ही इस शोध ग्रंथ दूसरा भाग भी सामने आयेगा. इस पर काम चल रहा है.

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