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पैतृक गांव में मनी 117वीं जयंती. युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक थे बेनीपुरी

औराई (मुजफ्फरपुर) : कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की 117वीं जयंती उनके पैतृक आवास व स्मारक स्थल पर समारोह पूर्वक मनायी गयी. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने चहेते साहित्यकार को सम्मान देने के लिए बेनीपुर पहुंचे. समारोह का आयोजन बेनीपुरी चेतना समिति के सहयोग से किया गया. इसमें बेनीपुरी जी के सबसे छोटे […]

औराई (मुजफ्फरपुर) : कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की 117वीं जयंती उनके पैतृक आवास व स्मारक स्थल पर समारोह पूर्वक मनायी गयी. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने चहेते साहित्यकार को सम्मान देने के लिए बेनीपुर पहुंचे. समारोह का आयोजन बेनीपुरी चेतना समिति के सहयोग से किया गया. इसमें बेनीपुरी जी के सबसे छोटे बेटे महेंद्र बेनीपुरी की सक्रियता रही. इस दौरान बेनीपुरी जी की दो कृतियों नई नारी, सीता की मां शकुंतला व कहानी संग्रह वंदे, वाणी विनायको का पुन: लोकार्पण हुआ.
जयंती समारोह की अध्यक्षता व संचालन कांग्रेस नेता हरिराम सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने बागमती की धारा में विलीन हो रहे बेनीपुरी जी के स्मारक को औराई प्रखंड में स्थापित करने की मांग की. उन्होंने बेनीपुरी जी को उनकी रचनाओं के जरिये याद किया. इस दौरान साहित्यकार संजय पंकज ने बेनीपुरी को लोक जीवन से जुड़ा हुआ साहित्यकार बताया और कहा कि उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी. उन्होंने अपनी चिर-परचित शैली में कहा कि बेनीपुरी जी को किसी न किसी रूप में पूरे साल याद किया जाता है. उन्होंने इस साल उनकी किताबों के फिर से हुये प्रकाशन पर भी बात की. साथ ही महेंद्र बेनीपुरी जी की ओर से किये जा रहे प्रयासों की चर्चा भी की.
बेनीपुरी जी के बेटे महेंद्र बेनीपुरी जी ने उनके बचपन को याद किया. कैसे बेनीपुरी जी मां-पिता के स्वर्गवास के बाद मामा के घर बंशी पचड़ा में रहे और वहां उन पर कैसे मामा की छाप पड़ी और वो आजादी के आंदोलन में कूदे. कैसे उन्होंने मामा के घर में रह कर अमर कृतियों की रचना की. भाजपा नेता नीरज नयन ने बेनीपुरी जी के स्मारक व जयंती समारोह को लेकर सरकारी रवैये पर क्षोभ व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर जयंती समारोह को आयोजन होना चाहिये. साथ ही उन्होंने बेनीपुरी जी के स्मारक पर कलम की मीनार बनवाने संकल्प को फिर दोहराया. उन्होंने फिर कहा कि एसकेएमसीएच से सीतामढ़ी रोड पर पड़नेवाले फोरलेन के चौराहे का नाम बेनीपुरी जी के नाम पर किया जाना चाहिये.
लेखिका मीनाक्षी मीनल ने कहा कि बेनीपुरी अमर हैं. उनकी प्रासंगिकता दिनोंदिन बढ़ती जायेगी, लेकिन उनके स्मारक को लेकर जिस तरह से उपेक्षा सरकार की ओर से की जा रही है. उसके लिए आंदोलन की जरूरत है. वरिष्ठ पत्रकार बिभेष त्रिवेदी ने बेनीपुरी को महान शिक्षाविद व प्रखर समाजसेवी बताया. उन्होंने कहा कि कलम के जादूगर को हमारी आनेवाली पीढ़ी भूले नहीं, इसके लिए कदम उठाये जाने चाहिये. लेखक व नगर निगम कर्मचारी ललन कुमार ने बेनीपुरी के सामाजिक सरोकार पर प्रकाश डाला. कवि रामजी प्रसाद शिवांस ने बेनीपुरी जी पर अपनी रचित कविता का पाठ किया.
सीतामढ़ी से आये शिक्षाविद रामशरण अग्रवाल ने अपनी तरह से बेनीपुरी जी को याद किया. ब्रह्मानंद ठाकुर ने भी 1973 से अब तक की बेनीपुर से जुड़ी अपनी यादों को ताजा किया. उन्होंने बेनीपुरी जी के स्मारक के बागमती में विलीन होते जाने पर दुख जताया. इनके अलावा समारोह को समाजसेवी रामजी प्रसाद सिंह, रामकुमार निराला, पुर्व मुखिया लक्ष्मण ठाकुर, भिखारी ठाकुर, भाजपा नेता मनीष कुमार, समेत दर्जनों वक्ताओं ने समारोह को संबोधित किया. इस दौरान महेंद्र बेनीपुरी की तीन पीढि़यों के लोग एक साथ मौजूद थे. इनमें उनकी नातिन मेहुल भी शामिल थी. इसके अलावा महंथ राजीव रंजन दास, कार्तिकेय बेनीपुरी, प्रभाकर मिश्र, रतन, विनोद मिश्र आदि मौजूद रहे. समारोह के अंत में बेनीपुरी चेतना समिति के सचिव राजेंद्र बेनीपुरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
बेनीपुर में लग गये बिजली के खंभे
विस्थापित बेनीपुर गांव में बिजली की खंभे लग गये हैं. उन पर तार भी खिच गया है. बिजली व तार देख कर गांव के लोगों में प्रसन्नता है. वो कहते हैं कि सालों की मेहनत का नतीजा है गांव में बिजली आ रही है. अगर सब ठीक रहेगा, तो अगले दस दिन में गांव बिजली से रोशन हो जायेगा.
अगर तुम पहले आ जाती…?
महेंद्र बेनीपुरी की पत्नी डॉ शीला बेनीपुरी ने रामवृक्ष बेनीपुरी से पहली मुलाकात का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि शादी के बाद जब मैं आशीवार्द लेने के लिए बाबू जी के पास गयी थी, तो उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था. उन्होंने आशीष देते हुये कहा कि अगर तुम पहले आ जाती, तो हम स्वस्थ्य रहते. ये कहते-कहते डॉ शीला भावुक हो गयीं. उन्होंने कहा कि अब जब भी बेनीपुर जाती हूं, तो बाबू जी की वही बात याद आती है, लेकिन दूसरी ओर उनके सपने की बात करूं, तो थोड़ा दुख होता है. क्योंकि बेनीपुर बदल रहा है. अब गांव विस्थापित हो गया है, लेकिन यहां पर पहले जैसी स्थिति नहीं रही. बच्चों को देख कर दुख होता है, क्योंकि वो स्कूल केवल खिचड़ी खाने के लिए जाते हैं. पढ़ाई की ललक उनमें कम दिखती है. ये स्थिति अच्छी नहीं है.
बेनीपुर जाने को बने पुल
बेनीपुर गांव भले ही विस्थापित हो गया है, लेकिन यहां रहनेवाले लोगों ने पुल की मांग अभी नहीं छोड़ी है. इन लोगों का कहना है कि बेनीपुरी जी का स्मारक है. साथ ही यही हम लोगों के जीवन का आधार है. चौर में ही खेती होती है, उसी से हम लोगों का जीवन चलता है. ऐसे में अगर पुल बन जायेगा, तो नाव से मुक्ति मिलेगी और लोग आसानी से अपने खेतों में जा सकेंगे. इसकी ओर सरकार को पहल करनी चाहिये, क्योंकि पुल हम लोगों के लिए बहुत जरूरी है. पुण्यतिथि पर बंशी पचड़ा में आयोजन जयंती समारोह में बेनीपुरी जी के मामा के गांव बंशी पचड़ा से भी लोग पहुंचे. इस मौके पर वंशी पचड़ा में खुले बेनीपुरी अध्ययन केंद्र की चर्चा हुई. इसी साल सात सितंबर को बेनीपुरी जी के पुण्यतिथि के मौके पर अध्ययन केंद्र की शुरुआत की गयी है. इसका उद्घाटन महेंद्र बेनीपुरी ने किया था. अगले साल से पुण्यतिथि पर बंशी पचड़ा बड़ा आयोजन करने की बात भी हुई.

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