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माता-पिता और प्रकृति की सेवा ही ईश्वर की पूजा–

माता-पिता और प्रकृति की सेवा ही ईश्वर की पूजा–रामबाग में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन ज्ञान मुद्रा का अभ्यास हर दिन 20 मिनट करें, होगा लाभ भगवान भाव के भुखे , विदुर के घर खाये थे साग वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर माता-पिता और प्रकृति की सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है. जीव-जंतु को दर्द […]

माता-पिता और प्रकृति की सेवा ही ईश्वर की पूजा–रामबाग में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन ज्ञान मुद्रा का अभ्यास हर दिन 20 मिनट करें, होगा लाभ भगवान भाव के भुखे , विदुर के घर खाये थे साग वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर माता-पिता और प्रकृति की सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है. जीव-जंतु को दर्द देने के बजाय इनकी सेवा कीजिए. यही ईश्वर की अाराधना है. इनमें जो भी सुलभ हैं उनका चयन कीजिए. ये सारे धरती पर ईश्वर के रूप हैं. यह बातें मंगलवार को रामबाग स्थित झुन्नीलाल गली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में भक्तों व श्रद्धालुओं को संबाेधित करते हुए मां के दुलारे राजीव कुमार ठाकुर ने कही. भगवान कैसे मिलते हैं प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, सेवा से भगवान मिलते हैं. जीवन का हर पल हरिमय हो तो जीवन सफल हो जाता है. भगवान भाव के भुखे होते हैं. वे भाव का साग, सब्जी खाने के लिए दुर्योधन का छप्पन भाेग त्याग दिया. विदुर के घर पहुंच साग व रोटी खाये. यही भक्त और भगवान का प्रेम है. उन्होंने कहा, भागवत हमें जीवन जीने का तरीका बताता है. सुबह चार बजे से दिनचर्या शुरू कीजिए. योगाभ्यास करके सुबह-सुबह भगवान का भजन-कीर्तन करते हुए दिनचर्या शुरू करना चाहिए. जिससे पूरा दिन मंगलमय व शांति से बीत जाता है. ज्ञान मुद्रा का अभ्यास हर दिन 20 मिनट करने की जरूरत है. इससे आलस्य, अनिद्रा, बीपी, स्मरण शक्ति ठीक हो जाते हैं. भीड़-भाड़ में अपने को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

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