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संशोधित :: सरकार से मिलते हैं 1600, खर्च 2200

संशोधित :: सरकार से मिलते हैं 1600, खर्च 2200- सिजेरियन ऑपरेशन में बजट से ज्यादा हो रहा खर्च- पेशोपेश में अस्पताल प्रशासन, कैसे करें राशि का समायोजन- एक सिजेरियन में बजट से 500 रुपये अधिक की आ रही दवावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन के लिए सरकार का बजट 1600 रुपये है, लेकिन […]

संशोधित :: सरकार से मिलते हैं 1600, खर्च 2200- सिजेरियन ऑपरेशन में बजट से ज्यादा हो रहा खर्च- पेशोपेश में अस्पताल प्रशासन, कैसे करें राशि का समायोजन- एक सिजेरियन में बजट से 500 रुपये अधिक की आ रही दवावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन के लिए सरकार का बजट 1600 रुपये है, लेकिन ऑपरेशन पर 2200 रुपये खर्च आ रहे हैं. ऐसा दवा की अनुपलब्धता के कारण हो रहा है. दवाओं का टेंडर नहीं होने से इसकी आपूर्ति पिछले छह महीने से ठप है. ऑपरेशन के लिए स्लाइन व अन्य दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं. जननी बाल सुरक्षा योजना के फंड से ऑपरेशन के लिए तो दवाएं खरीदी जा रही हैं, लेकिन दवाओं की खरीद में अधिक खर्च होने से अस्पताल प्रशासन पेशोपेश में है कि इस राशि का समायोजन कैसे करें. ऑडिट में अधिक खर्च की बात उठी तो जवाब देना मुश्किल होगा.ऑपरेशन के लिए खरीदी गयी 4400 रुपये की दवाशनिवार को जब दो महिलाएं सिजेरियन ऑपरेशन के लिए आयीं तो उसके लिए अस्पताल प्रबंधक शाहिद रजा व लेखापाल उपेंद्र दास ने 4400 रुपये की दवा खरीदी. इसका भुगतान जननी बाल सुरक्षा मद से किया गया है. अस्पताल प्रशासन की समस्या यह है कि दवा आपूर्ति होने तक यदि अन्य सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़े तो खर्च का समायोजन मुश्किल होगा.बाहर से डॉक्टर बुलाने के लिए 1500 रुपये निर्धारितबजट में सिजेरियन ऑपरेशन के लिए बाहर से डॉक्टर को कॉल पर बुलाने का भी प्रावधान है. लेकिन उसके लिए 1500 रुपये निर्धारित है. हालांकि इस वर्ष ऑपरेशन के लिए एक भी डॉक्टर को नहीं बुलाया गया. प्रबंधक बताते हैं कि इतनी फीस में कोई डॉक्टर आने के लिए तैयार नहीं हैं. इसी काम के लिए उन्हें दूसरे नर्सिंग होम में तीन से चार हजार रुपये मिलते हैं. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो सरकार की इस व्यवस्था के कारण कई योजनाओं का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है.::: बयान :::बजट संबंधी परेशानी है. इस बाबत सीएस से बात की जा रही है. मुख्यालय के निर्देश के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. – डॉ एनके चौधरी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

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