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बंदी की मौत से जेल प्रशासन पर फिर उठे सवाल

बंदी की मौत से जेल प्रशासन पर फिर उठे सवालसंवाददाता, मुजफ्फरपुरशहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार जेल में अंडर ट्रायल बंदी ने पेड़ पर 50 फीट ऊपर चढ़ कर गमछे से फांसी लगा ली. इधर मृतक के परिजन का कहना है कि समीर कभी सुसाइड नहीं कर […]

बंदी की मौत से जेल प्रशासन पर फिर उठे सवालसंवाददाता, मुजफ्फरपुरशहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार जेल में अंडर ट्रायल बंदी ने पेड़ पर 50 फीट ऊपर चढ़ कर गमछे से फांसी लगा ली. इधर मृतक के परिजन का कहना है कि समीर कभी सुसाइड नहीं कर सकता. कहा, दिन के उजाले में समीर ने पेड़ पर 50 फीट ऊपर चढ़ कर फांसी लगा दी और किसी भी सुरक्षाकर्मी की नजर उस पर नहीं पड़ी? क्या बंदी के वार्ड से बाहर निकलने के बाद सुरक्षाकर्मी उस पर नजर नहीं रखते हैं? जबकि समीर ने वार्ड 11 के सामने पेड़ पर चढ़ कर फांसी लगायी है. वार्ड से बाहर निकले के बाद बंदी कुछ भी करे, सुरक्षाकर्मी को इससे कोई मतलब नहीं होता है? क्या पहले हुई घटना के बाद भी सुरक्षाकर्मी की नींद नहीं खुली? ऐसे कई सवाल हैं जो जेल की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं. जेल के अंदर होते रहते हैं काफी धार्मिक आयोजन जेल में बंदियों को मानिसक रूप से मजबूत रखने के लिए कई आयोजन तो होते हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां पर इस तरह की घटनाएं होना, जेल प्रशासन पर सवाल उठा रहा है. खुद जेल प्रशासन कहता रहा है कि जेल में धार्मिक आयोजन कराये जाते हैं. जेल में कैदी की मौत का यह कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी सेंट्रल जेल में कई बंदियों की मौत हो चुकी है. बावजूद जेल प्रशासन ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया है. हर बार घटना के बाद कक्षपाल व बड़ा जमदार से स्पष्टीकरण मांगा जाता है और कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ जाता है. पेड़ से शव को उतारने में नौ घंटे की मशक्कत मो समीर के शव को पेड़ से उतारने के लिए कई तरकीब अपनाये गये. जेल प्रशासन की ओर से पहले रस्सी मंगायी गयी. लेकिन उससे शव उतारने में जोखिम देख शव नहीं उतारा गया. इसके बाद अग्नि शमन दल की गाड़ी को शव उतारने के लिए बुलाया गया. लेकिन उसके पास भी बीस फीट की सीढ़ी रहने के कारण शव नीचे नहीं उतारने में परेशानी हुई. अंत में रात 9.30 बजे छह लोगों को पेड़ पर चढ़ाया गया और शव उतारने की कवायद शुरू की गयी. करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद रात 11 बजे शव को पेड़ से नीचे उतारा गया. शव को पेड़ से नीचे उतारने के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा था कि शव में कहीं खरोज न लगे.

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