मुजफ्फरपुर: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शनिवार को व्यवहार न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने मुकदमे में फंसे हजारों लोगों को राहत दी. लोक अदालत लगने से जिले में पहली बार एक दिन में विभिन्न मामलों के 4883 केस का निबटारा सुलह के आधार पर हुआ. हालांकि 18 हजार मामले के निबटारे के लिए […]
मुजफ्फरपुर: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शनिवार को व्यवहार न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने मुकदमे में फंसे हजारों लोगों को राहत दी. लोक अदालत लगने से जिले में पहली बार एक दिन में विभिन्न मामलों के 4883 केस का निबटारा सुलह के आधार पर हुआ.
हालांकि 18 हजार मामले के निबटारे के लिए लोगों को नोटिस दी गयी थी, लेकिन उस अनुपात में लोग नहीं पहुंचे. अदालत का शुभारंभ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुआ. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की ओर से दिल्ली में उद्घाटन के बाद जिला सत्र न्यायाधीश उदय शंकर ने अदालत शुरू करने की घोषणा की. इसके बाद विभिन्न मामलों के लिए बने 24 बेंचों पर लोगों की कतार लग गयी.
अदालत की मॉनिटरिंग जिला व सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष स्वयं कर रहे थे. मामलों के निबटारे के लिए विभिन्न सरकारी इकाइयों के अधिकारी व न्यायिक पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे. सुलह कराने आये लोगों को उनके बेंच तक पहुंचाने के लिए व्यवहार न्यायालय परिसर में दो पूछताछ केंद्र भी बनाये गये था. यहां बैठे कर्मचारी नोटिस के आधार पर लोगों को उनके बेंच की जगह बता रहे थे.
बिना सुलह के वापस लौटे सैकड़ों लोग
मामले को सुलह कराने के लिए व्यवहार न्यायालय में हजारों लोग पहुंचे थे, लेकिन सैकड़ों लोग बिना सुलह कराये वापस लौट गये. पूछताछ केंद्र से बेंच बताने के बाद भी कई आवेदक सही बेंच तक नहीं पहुंच पाये. जबकि बैंक के साथ दर्जनों आवेदकों का समझौता नहीं हो पाया. लौटने वालों में सबसे अधिक मामले स्टेट बैंक से जुड़े थे. बैंकों का स्टॉल अलग-अलग होने के कारण लोगों को परेशानी हुई. सुलह कराने कई लोग ऋण राशि के 50 फीसदी राशि देकर समझौता कराने पहुंचे थे, लेकिन बैंकों ने इसे स्वीकार नहीं किया. अन्य मामलों में भी सुलह की शर्ते एक दूसरे के नहीं मानने के कारण भी उनके मामले का निबटारा नहीं हो सका.