मुजफ्फरपुर: निगम पार्षद निदान के खिलाफ गुस्सा निकाल कर ही रह जाते थे, जब निदान को हटाने की बात आती थी तो चुप्पी साध लेते थे, लेकिन अब उल्टा हुआ है, निदान ने शहर की सफाई व्यवस्था से खुद ही हटने का फैसला कर लिया है. एक दिसंबर से निदान शहर में काम नहीं करेगा. इसकी जानकारी निदान की ओर से निगम प्रशासन को चिट्ठी के जरिये दी गयी है. इसमें कहा गया है, यह निदान का आखिरी फैसला है. इसके साथ ही निदान ने निगम प्रशासन पर आरोपों की झड़ी लगा दी. निदान के पास शहर के 26 वार्डो की सफाई की जिम्मेदारी थी. हाल में उससे पांच वार्ड वापस ले लिये गये थे.निदान के कार्यक्रम प्रबंधक प्रमोद कुमार सिंह ने मेयर वर्षा सिंह व नगर आयुक्त सीता चौधरी को पत्र लिखा है. इसमें शहर की सफाई से अलग होने के बाद कही गयी है. निदान ने नगर प्रशासन पर एक करोड़ रुपये से अधिक की क्षतिपूर्ति का दावा किया है. निदान के सफाई से अलग हो जाने के बाद निगम के जिम्मे 49 वार्डो की सफाई की जिम्मेदारी आ जायेगी. अप्रैल – 2010 से निदान ने शहर में सफाई का काम शुरू किया था. इसके बाद इसे
हर साल कुछ और वार्डो की जिम्मेदारी मिलती रही है. इस साल ही निदान के वार्ड नहीं बढ़े, बल्कि पांच वार्डो की जिम्मेदारी उससे वापस ले ली गयी, हालांकि शहर में डंपिंग प्लेस नहीं होने के कारण भी समस्या होती रही है. यह बात निदान उठाता रहा है, लेकिन सफाई का जो समय तय है. उसका पालन कभी भी नहीं हुआ. दिन भर निदान की ओर से शहर की विभिन्न सड़कों पर कूड़ा का उठाव किया जाता रहा है. निदान की ओर सौपे गये पत्र में कहा गया है, निगम शहर की सफाई के प्रति उदासीन है.यही वजह है, उसके लिए विपरीत परिस्थितियां पैदा की जा रही है.
पत्र में निदान की ओर से लिखा गया है, सात वर्षो के लिए उसने पांच करोड़ पूंजी का निवेश किया है, लेकिन साढ़े तीन साल में उसे एक करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है. 10 लाख की जमानत राशि के ब्याज के साथ काम बंद करने के बाद निदान ने एक करोड़ पंद्रह लाख साठ हजार का दावा किया है.