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बोर्ड परीक्षा में मनचाहे केंद्र का खत्म होगा जुगाड़

बोर्ड परीक्षा में मनचाहे केंद्र का खत्म होगा जुगाड़ सख्ती: -चिह्नित किए जा रहे हैं दो विद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्र -बोर्ड परीक्षा से पहले जांच पूरी करने में जुटे विभागीय अफसरसंवाददाता, मुजफ्फरपुर बोर्ड परीक्षा में मनचाहे केंद्र के लिए एक से अधिक विद्यालयों में नामांकन कराने वाले बच्चों के जुगाड़ पर विभाग की […]

बोर्ड परीक्षा में मनचाहे केंद्र का खत्म होगा जुगाड़ सख्ती: -चिह्नित किए जा रहे हैं दो विद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्र -बोर्ड परीक्षा से पहले जांच पूरी करने में जुटे विभागीय अफसरसंवाददाता, मुजफ्फरपुर बोर्ड परीक्षा में मनचाहे केंद्र के लिए एक से अधिक विद्यालयों में नामांकन कराने वाले बच्चों के जुगाड़ पर विभाग की नजर पड़ गयी है. एेसे छात्रों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनका एक से अधिक विद्यालयों में नामांकन हुआ है. विभागीय स्तर पर इसके लिए सभी प्रधानाध्यापकों के साथ ही सीआरसी समन्वयकों को भी निर्देशित किया गया है. दरअसल, शिक्षा विभाग में एक से अधिक विद्यालयों में नामांकन कराकर सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी के साथ ही बोर्ड परीक्षा की शुचिता के साथ खिलवाड़ भी चल रहा है. दो विद्यालयों में नामांकन कराने वाले परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षा के लिए उसी विद्यालय का चयन करते हैं, जहां उनका जुगाड़ सही बैठे. यानि जिस परीक्षा केंद्र से पास होने की गारंटी मिलेगी, वहीं से परीक्षा देंगे. दूसरी तरह सरकार की ओर से आने वाली योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रहती है. डीएम के निर्देश पर खुली अधिकारियों की नींद वैसे तो शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर चल रहा यह खेल काफी पुराना है, लेकिन कभी जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर नकेल लगाने की मंशा नहीं दिखायी. उलटे जान-बूझकर आंख मूंदे रहे, जिससे पूरी व्यवस्था बेपटरी होती गयी. इस बीच पिछले दिनों ने दो विद्यालयों में नामांकन के मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने कड़े निर्देश दिए. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मीटिंग में डीएम ने निर्देश दिया कि ऐसे विद्यार्थियों को चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई की जाय, जिनका दो विद्यालयों में नामांकन है. डीएम का रुख देखने के बाद विभाग की नींद खुली और आनन-फानन में छानबीन शुरू कर दी. अटेंडेंस की बाध्यता खत्म होने के बाद मुसीबत विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति को लेकर अब कोई सख्ती नहीं रह गई है. नतीजा, शिक्षा विभाग में सक्रिय रैकेट पूरे सिस्टम को बिगाड़ने में सक्रिय हो गया है. विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि पहले विद्यार्थियों के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस की अनिवार्यता थी. इससे दो विद्यालयों में नामांकन की गुंजाइश एकदम खत्म हो गई थी, जिससे व्यवस्था में सुधार भी होता. अटेंडेंस की बाध्यता के बाद किसी छात्र के लिए दो विद्यालयों में बने रहना आसान नहीं होता. लेकिन अटेंडेंस की बाध्यता खत्म होने के बाद मनमानी की पूरी तरह से छूट मिल गई है. सरकारी योजनाओं में आएगी पारदर्शितादो विद्यालयों में नामांकन करने वाले छात्रों पर अगर विभाग की कार्रवाई सफल हुई तो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी पारदर्शिता आएगी. दूसरी तरफ विभाग के अंदरखाने तक पैठ रखने वालोें का कहना है कि नामांकन के नाम पर सरकारी योजनाओं हर साल लाखों का खेल किया जाता है. जानकारी के बावजूद इस पर विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर पाते, क्योंकि इसमें बड़ा रैकेट काम करता है. विभाग व प्रशासन के स्तर से कड़ाई से जांच की जाय तो कई नाम सामने आएंगे. बोले अधिकारी- ऐसे छात्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनका दो विद्यालयों में नामांकन है. पिछले दिनों मीटिंग में डीएम सर ने इसके लिए निर्देशित किया था. विभागीय स्तर पर सीआरसीसी को यह जिम्मेदारी दी गयी है कि अपने स्तर से छानबीन कर यह सुनिश्चित करें. मुख्यालय से भी इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. राजेश कुमार, कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा)

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