तो तबादले के बाद संचिका भी साथ ले गये अफसर! शिक्षक नियोजन : -निगरानी के दबाव पर लिखा गया पूर्व बीइओ को पत्र -मड़वन का मामला, नहीं मिल रहा शिक्षकों का फोल्डर संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में नियोजित शिक्षकों की जांच शुरू होने के बाद तरह-तरह के मामले सामने आ रहे हैं. कई प्रखंडों में शिक्षक नियोजन से संबंधित संचिका भी गायब हो गयी है, जिनकी तलाश में विभागीय अफसर दिन-रात एक किये हुए हैं. पूर्व में तैनात अधिकारियों पर भी संचिका साथ ले जाने का मामला सामने आ रहा है, जिसको मंगाने के लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है. विभागीय लोगों का कहना है कि संबंधित संचिकाओं का रिकॉर्ड हस्तांतरित नहीं होने के कारण उन्हीं अधिकारियों से मांगा जाएगा, जिनके पास अंतिम बार रिकॉर्ड दिखाया जा रहा है. मड़वन प्रखंड में नियोजित शिक्षकों की पत्रावली के लिए विभागीय स्तर पर महीनों से प्रयास चल रहा है. इस साल जनवरी में ही जिलाधिकारी ने सभी पत्रावली जमा करने के लिए विभाग को पत्र लिखा था. हालांकि इस बीच जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई सुगबुगाहट नहीं की. अब जबकि निगरानी जांच का दबाव विभाग से लगायत सरकार तक से पड़ने लगा तो उन संचिकाओं की सुधि आयी है. पूर्व में यहां तैनात रहे बीइओ मो एनुल को विभागीय स्तर से पत्र भेजकर नियोजित शिक्षकों की पत्रावली व मूल अभिलेख देने को कहा गया है. मो एनुल इन दिनों भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के बीइओ पद से निलंबित चल रहे हैं. बीइओ मीनापुर की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि नियोजित शिक्षकों की पत्रावली व मूल अभिलेख, जो उनके पास मौजूद है, तत्काल सौंप दें. इसमें लापरवाही करने पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी. नतीजे से दूर दिख रही निगरानी की जांच शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी की जांच कर रही निगरानी अन्वेषण ब्यूरो फिलहाल किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं नजर आ रही है. वर्ष 2006 से अब नियोजित शिक्षकों की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर 10 जून 2015 से निगरानी ब्यूरो की मुजफ्फरपुर इकाई कर रही है. उच्च माध्यमिक, माध्यमिक व प्राइमरी के शिक्षकों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर उनके नियोजन से संबंधित सभी दस्तावेज निगरानी टीम ने मांगी थी. करीब पांच महीने गुजर गये, लेकिन निगरानी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. निगरानी को आधे-अधूरे फाेल्डरों के चलते मुश्किल हो रही है. मसलन, जांच के दायरे में आये शिक्षकों की संख्या मास्टर चार्ट के अनुसार 448 थी. विभाग से इसके सापेक्ष जांच के लिए मैट्रिक के 330, इंटर के 295, बीए के 334, एमए के 284 व बीएड के मात्र 151 सर्टीफिकेट जांच को दिए गए. ऐसे ही जब माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के फोल्डर खोले गए तो उसमें प्रमाण-पत्रों की कॉपी आसानी से पढ़ पाना संभव नहीं था. हद तो यह है कि फाइल विभाग को वापस करने के बाद दुरुस्त करके लौटने में भी वक्त लगता है.
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तो तबादले के बाद संचिका भी साथ ले गये अफसर!
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