मुजफ्फरपुर: डकैती से बाद से मेरा पूरा परिवार दहशत में हैं. पुलिस जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रही है. कभी किसी शराबी को पकड़ कर पहचान कराती है तो कभी छापेमारी का बहाना करती है, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं लगा पायी है. इतनी बड़ी घटना हो गयी, लेकिन अभी तक मौके पर जांच के लिए थानाध्यक्ष मंजू सिंह को छोड़ कर कोई बड़ा अधिकारी नहीं आया है. एसएसपी-डीएसपी किसी ने जानकारी नहीं ली है. यह कहते हुये बंदरा के प्रमुख दीपक कुमार चौधरी का गला रुंध जाता है. वह कहते हैं, डकैतों के डर से हम परिवार समेत बंदरा छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. मेरा पूरा परिवार दहशत में है.
मारिये दस लाठी
दीपक बताते हैं, 10 नवंबर को दिन में मैं पीयर थाने गया था. वहां पर थानाध्यक्ष मंजू सिंह से बात हुई. इस दौरान क्षेत्र के कई लोग मौजूद थे. थानाध्यक्ष ने कहा, मधुबनी पुलिस तीन बदमाशों को पकड़ कर ले गयी है. अब क्षेत्र में शांति हो जायेगी. आगे से कोई वारदात नहीं होगी. इस पर दीपक ने कहा, पिछले दिनों चोरी की घटनाएं हुई थीं. अगर चोरों को चिह्नित करके उन्हें सजा दी जाये तो वैसे ही अपराध कम हो जायेगा.
पड़ गया डाका
दीपक बताते हैं, जिस दिन थानाध्यक्ष से मिले. उसी दिन रात में मेरे यहां डाका पड़ गया. रात में बारह बजे के बाद का समय था. लगभग चालीस के आसपास डकैत मेरे घर पर पहुंचे. बरामदे में सो रहे राम आसरे चौधरी व मेरे बेटे कुणाल व चालक केशव सिंह को कब्जे में ले लिया. मैं घर के अंदर कमरे में सो रहा था. मेरे कमरे के बगल में ही मेरे भाई राकेश का कमरा है. डकैतों ने मेरे पिता व चालक की पिटाई की. इसके बाद घर का दरवाजा खोलवाने का दबाव बनाया. मेरे भाई के कमरे की खिड़की खुली थी. उसी से रिवाल्वर तान डकैतों ने कहा, अगर दरवाजा नहीं खोला तो गोली मार दूंगा. इसके बाद मेरे भाई ने दरवाजा खोल दिया.
कहां है प्रमुखवा
घर में घुसते ही डकैत कहने लगे, प्रमुखवा कहां है. उसको निकालो, नहीं निकले तो गोली मार दो. दीपक का कहना है, इस समय तक मैं नहीं जगा था, लेकिन जब घर में हलचल बढ़ी तो मेरी पत्नी अनीता देवी जग गयी. उसके बाद मैं भी उठा. मुङो पूरा मामला समझने में देर नहीं लगी. मैंने बेड को दरवाजे से सटा दिया, ताकि दरवाजा जल्दी नहीं टूटे, लेकिन डकैत दरवाजा तोड़ने पर अमादा थे. उन्होंने पहले सिल-लोढ़ा से दरवाजा तोड़ने की कोशिश की. फिर खंती से दरवाजा तोड़ने लगे. इस दौरान वह गाली-गलौज भी कह रहे थे. इस दौरान मैं घर के अंदर से मदद के लिए चिल्ला रहा था, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. पास में चाचा का घर है. उसे भी डकैतों ने घेर रखा था.
तीन डकैतों से भिड़ा
दीपक कहते हैं, जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा टूटा तीन-चार डकैत मेरे ऊपर टूट पड़े. सबके हाथ में हथियार थे. मैंने एक डकैत की पिस्तौल को छीन लिया, तब तक दूसरे डकैतों ने मुङो पीटना शुरू कर दिया. मैंने भी डकैतों की पिटाई की. इस दौरान एक डकैत ने कहा, गोली मार देते हैं, लेकिन उनसे ऐसा नहीं किया. इसी बीच मेरी पत्नी ने डकैतों से कहा, आप लोग क्या चाहते हैं. अगर धन चाहते हैं तो मारपीट क्यों कर रहे हैं. इस पर डकैतों ने कहा, हम डाका डालने के लिए आये हैं, अगर मुङो ग्यारह लाख से ज्यादा का सामान मिलता है तो हम आप लोगों के साथ कुछ नहीं करेंगे.
बंद किया कमरे में
प्रमुख दीपक कहते हैं, मेरी पत्नी की बात सुनने के बाद डैकत नरम पड़े. वह हमसे बात करने लगे. इसके बाद उन्होंने मेरे पूरे परिवार के सदस्यों को एक कमरे में बंद कर दिया और पूरे घर में लूट-पाट करने लगे. इस दौरान सोना-नकद समेत लगभग पच्चीस लाख का सामान ले गये. डकैतों ने हमारे मोबाइल भी छीन लिये. इस वजह से हम बात भी नहीं कर सकते थे. लगभग डेढ़ घंटे तक डकैत मेरे घर में रहे. इसके बाद उन्होंने मेरे चाचा के यहां वारदात को अंजाम दिया.
बहुत बोलने लगे हो
दीपक का कहना है, जितने डकैत मेरे घर के अंदर आये थे. वह सभी युवा थे. कुछ ने नकाब पहन रखी थी, जबकि कुछ खुले मुंह थे. इनमें से अगर कोई देखने को मिले तो मैं उसे पहचान सकता हूं. वह बताते हैं, डकैत स्थानीय भाषा में बात कर रहे थे. इससे लगता है. वह इलाके के ही रहनेवाले हैं. वह प्रमुख से कह रहे थे, आजकल तुम बहुत बोलने लगे हो.
मेरा परिवार व्यापारी
दीपक कहते हैं, हम मीठा (गुड़) का व्यापार करनेवाले हैं. हम तो क्षेत्र के लोगों के कहने पर राजनीति में आये. सोचा था, प्रखंड प्रमुख बनने के बाद प्रतिष्ठा मिलेगी, क्योंकि मैं यही चाहता था, लेकिन प्रमुख चुने जाने के बाद से ही मेरी परेशानियां बढ़ गयीं. पिछले साल चोरी की वारदात हुई थी. मेरे पिता के कमरे से एक लाख का सामान चोर ले गये थे. इसके बाद जमीन खरीदी तो उसमें समस्या हो रही है. अब डाका ही हो गया.
एसएसपी ने मांगा दो दिन का समय
दीपक कहते हैं, वैसे तो हम सामान्य व्यक्ति हैं, लेकिन बंदरा प्रखंड के प्रमुख हैं. किसी प्रमुख के यहां ऐसे डकैती पड़ जाये. यह गंभीर बात है. यही फरियाद लेकर वह शहर पहुंचे थे. जदयू नेता सुबोध कुमार के साथ एसएसपी सौरभ कुमार से मिले. इस दौरान दीपक रोने लगे. एसएसपी ने पूरी बात सुनी और कहा, इस मामले में हमें दो दिन का समय दीजिये. इसके बाद आप जैसा कहेंगे, हम वह करेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो मामले के जांच अधिकारी को हटा देंगे. मैं खुद इस मामले को देखूंगा.
मांगी थी 11 लाख की रंगदारीदीपक डकैती को रंगदारी की घटना से भी जोड़ कर देख रहे हैं. उनका कहना है, इसी साल अगस्त में मेरे यहां गुमनाम चिट्ठी आयी थी, जो लालरंग से लिखी थी. चिट्ठी में लिखा था, इम्तिहान के बदले इंतकाम. इसमें 11 लाख की रंगदारी की मांग की गयी थी. हमने इसकी सूचना पीयर थाने को दी थी. उस समय सनहा दर्ज किया गया, लेकिन मामले की जांच नहीं की गयी. चिट्ठी में पैसों के साथ मुङो बहदी चौर में बुलाया गया था, जो मेरे घर से दो किलोमीटर दूर है, लेकिन थानाध्यक्ष मंजू सिंह ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. वह कहने लगीं, प्रमुख जी बच्चे शरारत में ऐसी चिट्ठी लिख देते हैं.